सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: संसद हमारे आदेश नहीं बदल सकती

Supreme Court
देश की न्याय व्यवस्था और सरकार की शक्तियों के बीच संतुलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए ट्रिब्यूनल रिफॉर्म एक्ट 2021 के कई प्रावधानों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा संसद मामूली बदलाव करके सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रभावहीन नहीं कर सकती।
जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने 137 पेज का फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार ने वही प्रावधान दोबारा कानून में शामिल कर दिए थे, जिन्हें कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका था। कोर्ट का कहना है कि यह न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल जैसा है।
4 महीने में कमीशन बनाने के निर्देश
कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि चार महीने के भीतर एक स्वतंत्र कमीशन का गठन किया जाए, जो ट्रिब्यूनलों की नियुक्ति, कार्यकाल और प्रशासनिक संरचना से जुड़े मामलों पर सिफारिशें देगा।
मामला आखिर है क्या?
यह विवाद 2020 से शुरू हुआ था। नवंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनलों के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 साल तय किया था। २०२१ में केंद्र सरकार ने नया कानून लाकर कार्यकाल 4 साल कर दिया। इसके खिलाफ मद्रास बार एसोसिएशन ने याचिका दायर की, जिस पर अब यह ऐतिहासिक फैसला आया है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
यह निर्णय सरकार और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाए रखने के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है। कोर्ट का संदेश साफ है कानून बनाने का अधिकार संसद का है, लेकिन अदालत के फैसलों को कमजोर करने की कोशिश स्वीकार नहीं की जाएगी।
