भारतीय नौसेना में शामिल हुआ INS माहे, जानें क्यों कहा जाता है 'साइलेंट हंटर'

भारतीय नौसेना में शामिल हुआ INS माहे, जानें क्यों कहा जाता है साइलेंट हंटर
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उथले समुद्री इलाकों में दुश्मन पनडुब्बियों की खोज का नया हथियार, भारतीय नौसेना में स्वदेशी युद्धपोत INS माहे शामिल

भारतीय नौसेना को सोमवार को एक और स्वदेशी क्षमता मिली। मुंबई में आयोजित औपचारिक समारोह में INS माहे को आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल किया गया। यह माहे-क्लास का पहला एंटी सबमरीन शैलो वॉटर क्राफ्ट है, जिसकी खासियत यही है कि यह तटीय इलाकों में कम गहराई वाले समुद्री क्षेत्रों में भी सहजता से ऑपरेशन कर सकता है। इस मौके पर आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी मुख्य अतिथि थे। नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इंजीनियरों और परियोजना से जुड़े विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।

INS माहे को खास तौर पर उन क्षेत्रों के लिए डिजाइन किया गया है, जहां बड़ी नौसैनिक इकाइयों की पहुंच सीमित होती है। ऐसे इलाके न सिर्फ रणनीतिक रूप से संवेदनशील होते हैं, बल्कि तटीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम भी माने जाते हैं। उथले पानी में दुश्मन पनडुब्बियों की पहचान करना किसी भी नौसेना के लिए चुनौती होती है। इसी जरूरत को ध्यान में रखकर माहे-क्लास के जहाज तैयार किए जा रहे हैं।

क्यों कहा जाता है 'साइलेंट हंटर'

इस जहाज को “साइलेंट हंटर” कहा जाता है, और इसके पीछे वजह भी स्पष्ट है। इसका डिजाइन और इंजन सिस्टम ऐसे तैयार किए गए हैं कि संचालन के दौरान जहाज से न्यूनतम शोर पैदा हो। इसी गुण का फायदा उठाकर यह पानी के भीतर चल रही पनडुब्बियों का पता लगाना आसान बनाता है। शत्रु की हलचल को पहचानने वाले सेंसर और सोनार उपकरण इसकी मुख्य ताकत हैं। INS माहे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है। यह कदम नौसेना की आत्मनिर्भरता और घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय नौसेना ने कई स्वदेशी प्लेटफॉर्म अपनाए हैं, और माहे-क्लास उसी कड़ी को आगे बढ़ाता है।

वॉटर ऑपरेशंस में नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी

जहाज का आकार अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन क्षमता भरपूर है। यह तटीय निगरानी, पनडुब्बी रोधी गश्त और आपातकालीन हालात में त्वरित प्रतिक्रिया जैसी भूमिकाओं में काम करेगा। नौसेना का मानना है कि आने वाले समय में तटीय सीमाओं पर बढ़ती सुरक्षा जरूरतों के बीच ऐसे जहाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। INS माहे के शामिल होने के बाद शैलो वॉटर ऑपरेशंस में नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी। यह जहाज उन क्षेत्रों की निगरानी में भी अहम भूमिका निभाएगा, जहां समुद्री मार्गों पर छोटे लेकिन संवेदनशील खतरे मौजूद रहते हैं। नौसेना अधिकारियों ने कहा कि आगामी महीनों में माहे-क्लास के और जहाज नौसेना में शामिल किए जाएंगे। फिलहाल INS माहे अपने बेस पोर्ट पर परीक्षण और अभ्यास मिशनों के साथ सक्रिय भूमिका में आ जाएगा।

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