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लाइन हाजिर

Price:   00 |  24 Feb 2019 2:10 PM GMT

लाइन हाजिर

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गागर में सागर भरतीं लघुकथाएं

85 लघु कथाओं का यह संग्रह लाइन हाजिर वाकई गागर में सागर के रूप में साहित्य जगत की एक धरोहर बन गया है। हर रोज हर व्यक्ति के जीवन में कोई ना कोई कहानी बनती और बिगड़ती है। कभी तो हम उसे महसूस कर लेते हैं, तो कभी उन्हें शब्दों में डाल देते हैं। यह कथा संग्रह भी लेखक के अपने अनुभवों और एहसासों का लेखा जोखा ही है और यह लेखा-जोखा कहानी के रूप में हमारे समक्ष प्रस्तुत है। लेखक की विशेषता यह है कि अपनी बात को अपने जज्बात को उन्होंने ज्यों का त्यों पन्नों पर उतार दिया है इसीलिए सहज और सरल भाषा में लिखी यह लघु कथाएं अपने आसपास की दुनिया को बयां करती नजर आती हैं। लघु कथासंग्रह कहीं रिपोर्ताज एकही मन की बेचैनी, तो कहीं दोहरी मानसिकता को देख समझकर भी कुछ ना कर पाने की मजबूरी और चिंता को बयां करता है। माता प्रसाद शुक्ल एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं। साहित्य और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करते हुए जो दिखा सो लिखा के संकल्प के साथ वे समाज की सही व सच्ची तस्वीर को प्रस्तुत करते हैं। उन्हें उनके जीवन संघर्ष ने भाव प्रवणता के साथ ही कलम के पैने पन की सौगात भी दी है जो उनकी लघु कथाओं में दिखाई देती है।

लघुकथा संग्रह की पहली कहानी आज की सीता भारतीय नारी की स्थिति को दर्शाती है। कहानी ईमान वोट की राजनीति पर एक बेहतरीन तंज है। मामू की वसीयत हमें समाज के रिश्तों में कैद दकियानूसी विचारधारा और दोहरे पन पर सोचने को मजबूर कर देते हैं। नाम का असर, खून छुपता नहीं और गिरगिट जैसी लघु कथाएं तो जैसे शहर का गुजरा जमाना और शहर की कहानी कहती नजर आती है। तेरहवीं के बहाने हमारी समाज की संकीर्ण विचारधारा पर पुन: विचार करके आधुनिक बनने के लिए प्रेरित करती है। इंदिरा कुआं कथा लघु कथा होने के बाद भी हमें सत्य कथा ही जान पड़ती है। घुटना पेट को नहीं झुका पढक़र लगा कि यह एक सत्य घटना ही तो है लघुकथा गोली एक बहुत बड़े सच को अपने में समेटे है।

लघुकथा संग्रह में ही डॉक्टर तारिक असलम तस्नीम का कथन भी समाहित है किसी अन्य विधा की अपेक्षा लघु कथा में मारक क्षमता अधिक है चाहे उसमें चमत्कार या व्यंग्य समाहित हो या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उपरोक्त कथा में धूम्रपान से फैली गंदगी और उसके लिए देवी देवताओं के चित्रों को इस्तेमाल कर स्वच्छता के फार्मूले पर अपनी राय दी है। कहानी उठावनी में लालच में बनाए जा रहे नए रीति-रिवाज और परंपराओं पर अपने आक्रोश को दर्शाया है। भला उठावनी में मृतक के फोटो पर पैसे चढ़ाने के लिए प्रेरित करना पंडित जी को शोभा देता है क्या।

डॉक्टर की फीस कहानी में डॉक्टर्स के प्रति बन रही एक आम राय को उन्होंने कहानी के जरिए पाठकों के सामने रखा है। माता प्रसाद शुक्ल जी ने कहानी को समझाने के लिए शब्दों का विस्तार नहीं दिया है। वे जो कहना चाहते हैं अपने सीमित शब्दों में अपनी बात को रख पाने में सफल रहे हैं। कुछ कहानियां तो कहानी ना होकर केवल शुक्ल जी की मन की बात नजर आती है जैसे कवयित्री को याद करते हुए। कहानी बोना प्रभुता पाहि काहि मद नाहीं को उल्लेखित करते हुए उद्यत की है। लेखक की भाषा नदी की तरह सतत प्रवाह मई रही है लगातार लेखन में सक्रिय शुक्ल जी ने क्षणिका कविता लघु कथा व्यंग्य लेख डायरी संस्मरण कथा आदि सभी विधाओं में अपनी लेखनी को कागज पर उकेरा है। यह संग्रह एक दृष्टिकोण और विचारधारा के चिंतन मनन के तहत पठनीय अवश्य है। इस रचनात्मक प्रयास के लिए माता प्रसाद शुक्ल को अनेक अनेक साधुवाद।


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