Home > राज्य > अन्य > बिहार > कोरोनाकाल में भी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव बिहार में नहीं : मांझी

कोरोनाकाल में भी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव बिहार में नहीं : मांझी

कोरोनाकाल में भी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव बिहार में नहीं : मांझी
X

बिहार/नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्षी दलों के महागठबंधन के घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी को इस बात का मलाल है कि कोरोना के इस संकट में भी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव बिहार में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष के नेता ही नहीं हैं, तो हमलोगों के बोलने का सरकार पर क्या असर होगा। उन्होंने कहा कि जब भी बिहार में कोई संकट होता है, तब तेजस्वी यादव नहीं होते हैं।

मांझी ने एजेंसी के साथ विशेष बातचीत में कहा, "यह सच्चाई है। मुझे कहने में संकोच तो हो ही रहा है, क्योंकि हमलोग महगाठंधन में शामिल हैं। लेकिन, तेजस्वी जी का जो रवैया रहा है, बिहार में कोई भी संकट का समय होता है तो प्राय: वे दिल्ली में रहते हैं। ऐसा करना नहीं चाहिए। जो भी परिस्थिति हो, उनको यहां रहना चाहिए, जूझना चाहिए। लोगों के बीच में रहने से लोगों को अहसास होता है कि हमारा नेता हम लोगों के बीच है। इससे मैसेज ठीक नहीं जा रहा है।" उन्होंने कहा, "पहले भी मैंने ऐसी बात कही थी कि अभी तेजस्वी में अनुभव की कमी है। तब लोगों ने इसे आलोचना कहा था, जबकि तेजस्वी को मैं पुत्रवत मानता हूं। मैंने उन्हें सलाह दी थी। अगर उस सुझाव को मानते तो आज यहां होते।"

मांझी ने कहा, "जब नेता ही नहीं हैं, तो महागठबंधन में हम लोग बोल भी दें, तो बहुत असर नहीं होगा। नीतीश कुमार सोचते होंगे कि जब नेता ही नहीं हैं, तो हम किससे बात करें।" मांझी ने नीतीश कुमार से कोरोना और अन्य राज्यों में फंसे बिहारी मजदूरों को बिहार लाने के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की सलाह देते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई गई लेकिन बिहार में अब तक सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई गई है।

मांझी ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते कारणों को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कोरोना को लेकर सरकार देर से जगी। उन्होंने कहा कि जब विश्व के अन्य देशों में कोरोना फैल गया था, तभी सरकार को एहतियाती कदम उठाने चाहिए थे। अंतरार्ष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगा देनी चाहिए थी। बिहार में कोरोना को कंट्रोल से बाहर नहीं मानते हुए मांझी ने कहा कि बाहर से आने वाले लोगों की सही ढंग से पहचान नहीं की गई, नहीं तो जो स्थिति अभी उत्पन्न हुई है, वह भी नहीं होती। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बाहर से बड़ी संख्या में मजदूर लोटे हैं लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। आज गांवों की स्थिति दयनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज मजदूर भूख से मर रहे हैं।

मांझी ने कहा कि सरकार भले ही दावा कर रही है कि मनरेगा में मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है लेकिन हकीकत है कि मस्टररोल में फजीर् नाम भरे जा रहे हैं। पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ रहे मांझी ने स्पष्ट कहा कि जो भी सुविधा या सहायता लोगों को दी जा रही है, वह सही अथोर्ं में गरीबों तक नहीं पहुंच पा रही है। उन्होंने कहा, "राज्य में लौटने वाले मजदूर भी बिलबिला रहें हैं और अन्य राज्यों में फंसे होने वाले मजदूर भी परेशान हैं। मजदूरों को सही सहायता नहीं मिल रही है।"

महागठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ने के संबंध पूछे जाने पर मांझी आईएएनएस से कहते हैं, "हमलोग अभी समन्वय समिति बनाने की मांग कर रहे हैं। तेजस्वी यादव नहीं रहते हैं। अगर और भी कुछ कमजोरी भी होती तो समन्वय समिति बनने के बाद छिप जाती।" बकौल मांझी, "कई सीनियर नेता समन्वय समिति बनाने को लेकर गलत सलाह दे रहे हैं। लेकिन यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं हैं। समन्वय समिति बनने के बाद ही कुछ बात होगी।"

Updated : 29 April 2020 2:20 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top