बिहार चुनाव से पहले सियासी तूफान: राहुल गांधी के ‘चुनाव चोरी’ बयान पर बघेल का करारा जवाब…

राहुल गांधी के ‘चुनाव चोरी’ बयान पर बघेल का करारा जवाब…
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नई दिल्ली, अनिता चौधरी। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी माहौल गर्माता जा रहा है। इंडी गठबंधन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर तीखे हमले तेज कर दिए हैं। हाल ही में भुवनेश्वर में राहुल गांधी ने बीजेपी पर बिहार में ‘चुनाव चोरी’ का आरोप लगाया, जिसका केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता एसपी सिंह बघेल ने करारा जवाब दिया। स्वदेश के साथ खास बातचीत में केंद्रीय मंत्री बघेल ने न केवल राहुल के बयानों को खारिज किया, बल्कि बिहार की जागरूक जनता और लोकतंत्र की ताकत से भी विपक्ष को दो -चार करवाया ।

‘चुनाव चोरी’ का नया शब्द और बघेल का पलटवार

ने जब से पी सिंह बघेल से हमने पूछा कि ‘चुनाव चोरी’ का मतलब क्या है, तो बघेल ने राहुल गांधी की आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राहुल कि पोलिटिकल डिक्शनरी का यह एक नया शब्द है, जिसे राहुल गांधी ने ख़ुद गढ़ा है। उन्होंने कहा, “हमने वोट चोरी, बूथ कैप्चरिंग, डराना-धमकाना सुना था, लेकिन ‘चुनाव चोरी’ सुनने में जनता का अपमान सा लगता है। जनादेश को चोर कहना लोकतंत्र का अपमान है।” बघेल ने राहुल के बयान को हार का डर बताते हुए चुटकी ली और उदाहरण दिया, “जैसे बच्चे परीक्षा से पहले बहाने बनाते हैं कि बुखार आ गया या सवाल सिलेबस से बाहर था, वैसे ही राहुल को बिहार में हार का डर सता रहा है। इसलिए वे पहले से ही बहानेबाजी शुरू कर चुके हैं।”

बिहार की जागरूक जनता और चाणक्य की कर्मभूमि

बघेल ने बिहार की जनता को देश की सबसे जागरूक जनता कहा बता कि बिहार का इतिहास हमेशा से समृद्धशाली रहा है। गुप्त वंश जा गौरव , “चाणक्य की कर्मभूमि, नालंदा विश्वविद्यालय का गौरव, लोकतंत्र के स्वर्ण युग का केंद्र रहा है बिहार। बिहार की जनता हमेशा सोच-समझकर फैसला लेती है। राहुल गांधी की दाल यहां नहीं गलने वाली।” बघेल ने यह भी कहा कि राहुल के बयान बिहार की जनता को प्रभावित नहीं करेंगे, क्योंकि यह वही धरती है जहां से क्रांतियां और ज्ञान की गंगा बही है।

ईवीएम पर विवाद और बघेल का जवाब

विपक्ष द्वारा बार-बार उठाए जा रहे ईवीएम के मुद्दे पर पंचायती और मत्स्य पालन राजमंत्री एस पी सिंह बघेल ने जवाब दिया, “क्या ईवीएम में कोई नया बटन आ गया है? क्या सील तोड़कर नई सील लगाई जा सकती है?” उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब वे जीतते हैं, तब ईवीएम ठीक रहता है, लेकिन हारते ही ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने लगते हैं।

बघेल ने उदाहरण दिया कि 2004 और 2009 में मनमोहन सिंह, यूपी में मायावती और अखिलेश यादव, दिल्ली में आप—सभी ने ईवीएम से ही सरकार बनाई। बघेल ने दोटूक कहा, “अब ईवीएम को बदनाम करना बंद करना चाहिए।”

चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट सर्वे को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बावजूद विपक्ष के सवालों पर बघेल ने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जो बोगस वोटिंग रोकने के लिए जरूरी है। “चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और अपने दायरे में काम करती है।

विपक्ष को संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा करना चाहिए।” बघेल ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि उसने तो सीबीआई को ‘कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ बना दिया था और उसे ‘तोता’ कहा जाता था।

भगवंत मान के बयान पर बघेल की चुटकी

आम आदमी पार्टी के नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के पीएम मोदी पर तंज कि वे 140 करोड़ की आबादी वाले देश को छोड़कर 10 हजार की आबादी वाले देशों में जाते हैं इस पर केंद्रीय मंत्री बघेल ने जवाब दिया कि भगवंत मान के कॉमेडी शो में भी 10 हजार लोग आ जाते हैं। एक कॉमेडियन से गंभीर राजनीतिक बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती।” बघेल ने पीएम मोदी की कूटनीति की तारीफ करते हुए कहा कि छोटे देशों को सम्मान देना उनकी दूरदर्शिता है, जैसे सुदामा-कृष्ण की मित्रता।

कांवड़ यात्रा और धर्मांतरण पर बड़ा बयान

कांवड़ यात्रा और दुकानों के नाम उजागर करने के योगी सरकार के फैसले पर बघेल ने कहा कि यह स्वच्छता और धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए जरूरी है। “छद्म नामों से दुकान चलाने से व्रत टूटने या भावनाओं को ठेस पहुंचने का खतरा रहता है।” वहीं, धर्मांतरण के मुद्दे पर बघेल ने बिना नाम लिए इस्लामिक प्रथाओं पर निशाना साधा और कहा कि प्रलोभन देकर गरीबों का धर्मांतरण कराना गंभीर अपराध है।

“धर्म से प्रभावित होकर धर्मांतरण अलग बात है, लेकिन पैसे का लालच देकर यह करना अपराध है। इसलिए अब घर वापसी हो रही है।”

उल्लेखनीय है कि बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों और बीजेपी के जवाबों ने सियासी माहौल को और रोमांचक बनाता जा रहा है। बघेल के बयानों से साफ है कि बीजेपी बिहार की जागरूक जनता पर भरोसा कर रही है और विपक्ष के हर वार का जवाब देने को तैयार है।

बिहार की जनता किसके साथ खड़ी होगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन यह साफ है कि इस बार का चुनाव न केवल वोटों की लड़ाई है, बल्कि विचारों और विश्वास की भी जंग है।

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