अब चढ़ेगा बिहार में राजनीति का जातिवादी रंग: विधानसभा चुनाव के लिए जिताऊ जाति की खोज

विधानसभा चुनाव के लिए जिताऊ जाति की खोज
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पटना। विकास के एजेंडे से परे बिहार की राजनीति में 215 जातियां का जातिवाद वह धुरी है,जिसके इर्द गिर्द चुनाव होना है। महागठबंधन हो या एनडीए सभी ने चुनाव जंग में प्रत्याशी उतारने से पहले जिताऊ जाति उतारने की तैयारी कर ली है। इस समय बिहार के दल बाकायदा प्राइवेट एजेंसियों से सर्वे करा रहे हैं । इस सर्वे में चुनाव में जिताऊ उम्मीदवार के साथ -साथ जिताऊ जाति के बारे में तफ्तीश की जा रही है।

विभिन्न दलों के जानकारों के अनुसार अलग अलग एजेंसियों की इस चुनाव में चांदी हो गयी है। इन एजेंसियों को अलग-अलग तरीके से जिम्मेदारियां दी गई हैंं। दल इन एजेंसियों से पता लगवा रहे हैं कि विशेष विधानसभा क्षेत्र में टॉप थ्री वो कौन सी जातियां हैं, जिनके प्रत्याशी मैदान में उतारे जा सकते हैं। सर्वे में यह भी पता लगाया जा रहा है कि जिस जाति का प्रत्याशी उतारा जायेगा, सही मायने में उस जाति को सर्वमान्यता कितनी है।

इसे दूसरे शब्दों में कुछ यूं समझा जा सकता है।अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में कोई जाति दबंग है। उसका अपना वोट बैंक भी खूब है। प्रत्याशी भी अच्छा है, लेकिन अगर उस जाति की विरोधी जातियों की संख्या अधिक है तो संभव है कि उसका टिकट कट जाए। दरअसल इस बार चुनाव जीतने के लिए जातियों का सामाजिक विश्लेषण बड़े खास तरीके से किया जा रहा है। जिताऊ उम्मीदवार के साथ -साथ जिताऊ जाति तलाशी जा रही है।

कुल मिलाकर बिहार में हर दल सियासी चौसर पर शह मात के लिए अपनी अपनी तरह से जातियों को गोटी की तरह इस्तेमाल करने की तैयारी में है। बिहार की राजनीति में जाति कितनी अपरिहार्य है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक दलित नेता को जो केवल एक बार के विधायक हैं उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। बिहार में भाजपा की भी मजबूरन यही स्थिति है।

भाजपा ने बिहार में वैश्य जाति के दिलीप जायसवाल को अध्यक्ष बनाया है। वैश्य यहां पिछड़ा माने जाते हैं। वैसे भाजपा जाति से ऊपर उठ कर विकास केंद्रित चुनाव चाहती है, पर जमीनी हकीकत उसे भी विवश कर रही है और यह चिंताजनक है । जदयू ने पिछड़ा वर्ग के उमेश कुशवाह को अध्यक्ष बना रखा है। HAM के कर्ताधर्ता खुद दलित जीतन राम मांझी हैं। स्वर्गीय राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान अपनी पार्टी के सर्वे सर्वा हैं।

बिहार में जातियां के आंकड़े इस प्रकार हैं--

सामान्य जातियों की संख्या - 7

पिछड़ा वर्ग की जातियों की संख्या - 30

अति पिछड़ा वर्ग की जातियों की संख्या - 112

अनुसूचित जाति की संख्या - 22

जनजाति जनजातियों की संख्या - 32

अन्य - 12

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