आत्मनिर्भर बनाएगा एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड : गिरिराज सिंह

आत्मनिर्भर बनाएगा एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड : गिरिराज सिंह

बेगूसराय। देश के सर्वांगीण विकास में लगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की नजर हर क्षेत्र पर है। कोरोना के कारण जब बड़ी संख्या में प्रवासी गांव आए तो उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू किया गया। वहीं, लोगों को स्वरोजगार के प्रति प्रेरित करने के लिए पशुपालन विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया है। करीब 15 हजार करोड़ के एनिमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के कार्यान्वयन से डेयरी क्षेत्र आत्मनिर्भर बनेगा। यह योजना आत्मनिर्भर भारत निर्माण की कड़ी का एक बड़ा अध्याय साबित हो सकती है। इसका फायदा देश के कई हिस्सों को मिलेगा, लेकिन बिहार में डेनमार्क के नाम से चर्चित सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाले बेगूसराय जिले को इसका जबरदस्त फायदा मिलने की उम्मीद है।

इस योजना के तहत बेगूसराय के किसानों को एक ओर स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह के केंद्रीय पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री बनने का फायदा मिलेगा वहीं, देश के विभिन्न राज्यों में चर्चित कम्फेड की बरौनी डेयरी के माध्यम से भी करीब हर गांव तक इस कल्याणकारी योजना का लाभ पहुंचेगा। गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को बताया कि 15 हजार करोड़ का एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एएचआईडीएफ), डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की सोच को दर्शाता है। प्रति व्यक्ति उपलब्ध दूध और उत्पादन में हम विश्व मे प्रथम स्थान पर हैंं। उन्होंने कहा कि वैल्यू एडिशन में दुनिया के शीर्ष स्थान तक पहुंचने का समय आ गया है। पशुपालन एवं दूध उत्पादन के क्षेत्र में भारत तेजी सेे वृद्धि की ओर अग्रसर है। वैश्विक स्तर पर दूध उत्पादन में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि भारत में साढ़े चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तीन सौ ग्राम दूध उपलब्ध है, जबकि भारत मेंं प्रति व्यक्ति प्रतिदिन चार सौ ग्राम दूध उपलब्ध है। गिरिराज सिंह ने कहा है कि एनिमल हसबैंड्री इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड का उद्देश्य देश में मिल्क और मीट प्रोसेसिंग कैपेसिटी को बढ़ावा देना, एनिमल हसबैंड्री प्रोडक्ट डायवर्सिफिकेशन, अनऑर्गेनाइज्ड ग्रामीण मिल्क और मीट क्षेत्र को ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर से जोड़ना, फार्मर प्रोड्यूसर को बेहतर रिटर्न मिले, देश की जनसंख्या के अनुसार मल्टीपल एनिमल हसबैंड्री प्रोडक्ट की उपलब्धता बढ़ाना, उद्यमिता एवं रोजगार को बढ़ावा देना, मिल्क और मीट सेक्टर में निर्यात को बढ़ावा देना, क्वालिटी प्रोडक्ट तथा क्वालिटी फीड उपलब्ध करवाना है।

इसमें डेयरी प्रोसेसिंग, मिल्क प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग, वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट्स, आइसक्रीम यूनिट, चीज, फ्लेवर्ड मिल्क पाउडर, वे-प्रोटीन इत्यादि सेक्टर को प्रोत्साहित किया जाएगा। छोटी- बड़ी सभी परियोजनाओं को समर्थन मिलेगा, रीपेमेंट पीरियड आठ साल का होगा जिसमें दो साल का मोनोटोरियम पीरियड भी होगा, 750 करोड़ का क्रेडिट गारंटी फंड नाबार्ड मैनेज करेगा, इससे एमएसएमई को विशेष रूप से मदद मिलेगी।

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