नक्सलमुक्त हुआ बस्तर: केंद्र ने माओवादी जिलों की सूची से किया बाहर, अब जनजीवन सामान्य

Bastar District Naxal Free : रायपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला अब नक्सलवाद के साये से मुक्त हो चुका है। यह खबर पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर को लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिज्म (LWE) प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष से बस्तर को एलडब्ल्यूई के तहत मिलने वाली केंद्रीय सहायता बंद कर दी गई है।
बस्तर के कलेक्टर हरीश एस. ने बताया कि अब जिला एलडब्ल्यूई की सूची से हटकर एक लेगसी डिस्ट्रिक्ट के रूप में स्थापित हो चुका है। इसका मतलब है कि बस्तर अब विकास और शांति की नई राह पर बढ़ रहा है।
पहले बस्तर जिले को नक्सल उन्मूलन और विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार से करोड़ों रुपये का फंड मिलता था। मार्च 2025 तक यह राशि जारी की गई, लेकिन अप्रैल 2025 से इस फंड पर रोक लगा दी गई है। यह कदम बस्तर में नक्सलवाद पर प्रभावी नियंत्रण और सुरक्षा स्थिति में सुधार का संकेत देता है।
बस्तर संभाग में प्रगति
बस्तर संभाग के सात जिलों- बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव, और कांकेर- में से दो जिले अब नक्सलमुक्त हो चुके हैं। इस साल छत्तीसगढ़ के तीन अन्य जिले- राजनांदगांव, कवर्धा, और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई-को भी LWE (लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिज्म) सूची से हटाया गया है।
बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में बदलाव
बस्तर जिले के दरभा, कोलेंग, तुलसीडोंगरी, माचकोट, तिरिया, लोहंडीगुड़ा, मारडूम, ककनार, और बारसूर जैसे इलाके पहले नक्सलवाद से प्रभावित थे। इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने कई कैंप और थाने स्थापित किए। उदाहरण के लिए, दरभा की झीरम घाटी, कोलेंग, और तुलसीडोंगरी में कैंप खोले गए। मारडूम में थाना और कैंप, ककनार और चित्रकोट में चौकी और कैंप, और लोहंडीगुड़ा में सीआरपीएफ कैंप स्थापित किए गए। साथ ही, इन इलाकों में पक्की सड़कों का जाल बिछाकर पूरे जिले को सुरक्षित किया गया।
नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
हाल ही में सुकमा में नक्सली संगठन के महासचिव गगन्ना उर्फ बासव राजू समेत 28 नक्सलियों के मारे जाने से निचले स्तर के नक्सलियों में दहशत फैल गई। मंगलवार को सुकमा के एसपी किरण चव्हाण के सामने 18 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें चार हार्डकोर नक्सली शामिल थे। इनमें से 12 नक्सलियों पर कुल 39 लाख रुपये का इनाम था।
पीएलजीए बटालियन नंबर 1 के हेडक्वॉर्टर कंपनी नंबर 3 के पीपीसीएम मड़कम आयता (8 लाख), भास्कर उर्फ भोगाम (8 लाख), टेलर टीम कमांडर मड़कम देवे (5 लाख) और माड़वी छन्नू (5 लाख) जैसे बड़े नक्सली शामिल हैं। यह बदलाव बस्तर में शांति और विकास की नई शुरुआत का प्रतीक है। स्थानीय लोग और प्रशासन अब मिलकर इस क्षेत्र को और समृद्ध बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
