Home > लेखक > #Loksabha2019 : युद्ध के मैदान से राहुल का पलायन

#Loksabha2019 : युद्ध के मैदान से राहुल का पलायन

अतुल तारे

#Loksabha2019 : युद्ध के मैदान से राहुल का पलायन
X

जनेऊधारी' राहुल बने 'रणछोड़दास'

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी से उत्तरप्रदेश में 'फ्रंटफुट' पर खेल कर हराने की घोषणा करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष दक्षिण भारत में केरल स्थित वायनाड सीट से भी लोकसभा चुनाव लडऩे वाले हैं। 'जनेऊ धारीÓ राहुल गांधी के वायनाड जाने के मतलब साफ है कि वह अमेठी में सुरक्षित नहीं हैं। वायनाड केरल का वह संसदीय क्षेत्र हैं जहां युवा कांग्रेसियों ने गाय के मांस को सार्वजनिक रूप से खाकर एक वीडियो वायरल किया था खुद को 'दत्तात्रय ब्राह्मण' बताकर राहुल गांधी मुस्लिम इसाई बहुल क्षेत्र में अब स्वयं को क्या बताएंगे, इस पर देश की निगाह है।

उल्लेखनीय है कि अमेठी संसदीय क्षेत्र यूं तो कांग्रेस की खासकर गांधी परिवार की परम्परागत सीट रही है। पर 2014 के चुनाव में श्रीमती स्मृति इरानी ने श्री राहुल गांधी को पसीने ला दिए थे। यही नहीं इन पांच सालों में श्रीमती इरानी अमेठी में बराबर सक्रिय रही। कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में राहुल पिछड़ रहे थे। यह आंकलन और तब गंभीर हो गया जब श्रीमती प्रियंका वाड्रा को पूर्वी उत्तरप्रदेश में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। इधर सपा बसपा के गठबंधन के बाहर होने से कांग्रेस असहज भी थी ही।

रही सही कसर टीम राहुल उत्तरप्रदेश में आपस में ही फ्रंटफुट पर खेलने लगी। कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर समझ ही नहीं पर रहे हैं कि उनकी प्रदेश में भूमिका क्या है। कारण पूर्व में श्रीमती वाड्रा है तो पश्चिम में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया। श्री जतिन प्रसाद, सेम पित्रोदा भी अलग-अलग राह पर हैं। कार्यकर्ता दो शक्ति केंद्र होने से और हैरान परेशान है। ऐसे में अमेठी राहुल गांधी के लिए खतरे का संकेत दे रही थी।

यही कारण है कि केरल कांग्रेस को एक प्रायोजित नाटक की पटकथा दी गई। प्रस्ताव पारित हुआ। रणनीतिकारों ने राहुल गांधी को वायनाड से लडऩा चाहिए या नहीं, इस पर खूब चर्चा भी की। अंत में तय हुआ राहुल गांधी को मुसीबत में डालना ठीक नहीं। अत: 2019 में अपने ही सेनापति को बचाने अब उन्हें दो-दो संसदीय क्षेत्र से लड़ाने की योजना को अमली जामा पहनाया जा रहा है।

केरल का वायनाड संसदीय क्षेत्र, प्रदेश के कन्नूर, मल्लापुरम एवं वायनाड को मिलाकर बना है। 2008 में अस्तित्व में आए इस क्षेत्र की जनसंख्या 817420 है, जिसमें मुस्लिम 28.65 एवं इसाई 21.34 इसाई हैं। राहुल गांधी की नजर इन्हीं 49.99 फीसदी वोटों पर है। उत्तर भारत में भाजपा को दिन रात कोसने वाले राहुल गांधी जानते हैं कि भाजपा यहां दौड़ में नहीं है। कारण 2014 में भाजपा के पी.आर. रासमिल नाथ को 80752 वोट मिले थे जो कुल मतदान का महज 6.46 फीसदी है। यही राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए राहत का विषय है।

पर राहुल गांधी के वायनाड आने से वामपंथी दल नाराज है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि यह हमारे खिलाफ है। सीपीआईएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि पार्टी राहुल गांधी की हार सुनिश्चत करेगी क्योंकि कांग्रेस अपनी भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय प्रतिबद्धता से पीछे हट रही है। वामपंथियों की यह नाराजगी की असली वजह उनके अपने किले के दरकने चलते भी है। केरल में इस बार भाजपा ने भी अपने पांव पसारे हैं। अब ऐसे में राहुल गांधी के आने से उनका वोट बैंक भी खिसक सकता है। यही वामपंथियों की दुखती रग है।

बहरहाल, राहुल गांधी के इस फैसले से संभव है संसद में उनका प्रवेश सरल हो जाए, पर कांग्रेस की 2019 में वापसी की राह बीच लड़ाई में और मुश्किल हो गई है।

रणनीतिकार यह समझ रहे हैं कि वायनाड जाने का फैसला आने वाले दिनों में कांग्रेस को असहज करेगा। कारण कांग्रेस की नीति उत्तरप्रदेश में हिंदू वोट पर है। वायनाड से संदेश ठीक उलट जा रहा है। यही नहीं अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की फजीहत भी उसे 'बैकफुट' पर लाएगी सो अलग।

Updated : 4 April 2019 11:42 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Atul Tare

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top