क्यों एलन मस्क के गर्भाशय वाले पोस्ट पर मचा बवाल?

क्यों एलन मस्क के गर्भाशय वाले पोस्ट पर मचा बवाल?
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सोनाली मिश्रा

एक्स के मालिक और उद्योगपति एलन मस्क हमेशा ही विवादों में रहते हैं। उनका विवादों में रहना न ही अलग है और न ही कुछ अपवाद। वे हमेशा ही विवादों में घिरे रहना पसंद करते हैं। वे उन मुद्दों पर बात करते हैं, जिनपर कोई सहज बात नहीं करता है। वे लगातार इस्लामिक कट्टरपंथियों और वामपंथी एजेंडे पर तंज भी कसते रहते हैं।

मगर इस बार उन्होनें महिलाओं को लेकर एक बयान दिया है। वह महिलाओं पर नहीं अपितु महिला होने की पहचान पर है। इन दिनों ट्रांस वुमन का शोर मचा हुआ है। ट्रांस जेन्डर का शोर मचा हुआ है। ट्रांसजेन्डर्स का अर्थ किन्नर होना नहीं है। ट्रांसजेन्डर्स की परिभाषा वर्ष 2014 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे व्यक्तियों के रूप में दी है, जिनकी लिंग पहचान जन्म के समय सौंपे गए लिंग (पुरुष या महिला) से मेल नहीं खाती है।

अर्थात यदि कोई व्यक्ति लड़का बनकर पैदा हुआ है, और उसे लगता है कि वह गलत देह में है तो वह अपनी पहचान को बताया सकता है और वह अपनी लैंगिक रुचि के अनुसार अपनी लैंगिक पहचान का चयन कर सकता है। ट्रांसजेन्डर्स को सुप्रीम कोर्ट ने "सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग" माना था, जिसके बाद उन्हें विभिन्न राज्यों में आरक्षण प्राप्त है। तमिलनाडु में ट्रांस महिलाओं को मोस्ट बैकवर्ड क्लासेस में रखा गया था। असम में इस समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिया गया है।

क्या होती हैं ट्रांसमहिलाएं?

अब प्रश्न उठता है कि क्या होती हैं ट्रांसमहिलाएं और क्यों मचा हुआ है हंगामा? ट्रांसमहिलाओं की परिभाषा में वे पुरुष आते हैं, जिनका जन्म तो नर लिंग के रूप में हुआ, परंतु उन्हें ऐसा लगता है कि वे गलत देह में हैं तो वे अपनी लैंगिक रुचि के अनुसार लिंग का निर्धारण कर सकते हैं। तो ऐसे लोगों को ट्रांस महिला या ट्रांस वुमन कहा जाता है।

क्यों है विवाद?

इसे लेकर विवाद उठते रहते हैं। शरीर से पुरुष और मन से महिला ये लोग महिलाओं की श्रेणी चाहते हैं। महिलाओं के साथ बाथरूम साझा करना चाहते हैं, महिलाओं के साथ प्रतिस्पर्धा चाहते हैं, महिलाओं के साथ ही जेल चाहते हैं आदि आदि! इतना ही नहीं महिलाओं के साथ ही चेंजिंग रूम चाहते हैं। इधर ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें महिलाओं के साथ ट्रांस महिलाओं ने न केवल शारीरिक हिंसा की, बल्कि उनका यौन शोषण भी किया।

यूएनओ की रिपोर्ट

इनकी मांग रहती है कि उन्हें महिला माना जाए और उनकी दूसरी मांग यह है कि उन्हें खेलों मे महिलाओं की श्रेणी में खेलने दिया जाए। यह सबसे खतरनाक है, क्योंकि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ की खेलकूद में महिलाओं के प्रति हिंसा को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई। इस रिपोर्ट का शीर्षक है - Violence against women and girls, its causes and consequences। इस रिपोर्ट में Manifestations of violence against women and girls in sports शीर्षक में शारीरिक हिंसा अर्थात फिजिकल वाइअलन्स वाली श्रेणी में यह स्पष्ट लिखा है कि जब से महिलाओं के लिए खेल को पुरुषों के लिए खोल दिया गया, तब से महिलाओं के प्रति हिंसा बढ़ गई है। इसमें साफ लिखा है कि “महिला एथलीट गंभीर शारीरिक चोटों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जब केवल महिलाओं के लिए बने खेलों को पुरुषों के लिए भी खोल दिया जाता है, जैसा कि वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, और फुटबॉल जैसे खेलों में प्रमाणित हुआ है। ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां वयस्क पुरुषों को कम उम्र की लड़कियों की टीमों में शामिल किया गया है। ऐसी चोटों में दांत टूटना, तंत्रिका क्षति के कारण मस्तिष्क में चोट लगना, पैर टूटना और खोपड़ी में फ्रैक्चर शामिल हैं।“ और इन्हीं को देखते हुए अब महिलाओं के खेल से ट्रांसवुमन को अलग कर दिया गया है।

लगभग 890 मेडल्स महिला खिलाड़ियों के हाथों से ट्रांस वुमन की झोली मे गए हैं

यह आंकड़ा भयावह है। यह बताता है कि कैसे महिला खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धाओं में बेईमानी हो रही है। इस रिपोर्ट में पृष्ठ पाँच पर लिखा है कि कैसे कुछ खेल संघों की नीतियों ने महिलाओं के साथ अन्याय किया है। इसमें लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय महासंघों और राष्ट्रीय शासी निकायों द्वारा लागू की गई नीतियां, कुछ देशों में राष्ट्रीय कानून के साथ, उन पुरुषों को महिला खेल श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देती हैं जो खुद को महिला मानते हैं। कुछ मामलों में ये व्यवस्था चलन में है। महिला खेल श्रेणी को मिश्रित-लिंग श्रेणी से बदलने के परिणामस्वरूप पुरुषों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते महिलाओं के हाथों से कई पदक चले गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 30 मार्च 2024 तक, 400 से अधिक प्रतियोगिताओं में 600 से अधिक महिला एथलीटों ने विभिन्न खेलों में 890 से अधिक पदक खो दिए हैं।

अब एलन मस्क ने क्या कहा है?

ट्रांसवुमन को लेकर एलन मस्क ने क्या कहा है, जिसे लेकर हंगामा मचा है? दरअसल उन्होनें ट्रांसवुमन के विवाद में कूदते हुए कहा कि महिला वही है, जिसके गर्भाशय होता है। यदि गर्भाशय नहीं है तो महिला नहीं है। इस पर हंगामा मचा हुआ है। जबकि यह सत्य है। महिला होने का निर्धारण जननांग और गर्भाशय से ही होता है। महिला शिशु को जन्म दे सकती है, इसी कारण से वह महिला है। यही सबसे सरल परिभाषा है, परंतु इसे लेकर हंगामा मच गया है और ट्रांसवुमन के हिमायती और वामपंथी लोग एलन मस्क की आलोचना कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि एलन ने ट्रांसवुमन के प्रति विष उगला है और घृणा फैलाई है।

लोगों का कहना है कि ऐसी पोस्ट्स से ट्रांसोफोबिया फैलता है अर्थात ट्रांस लोगों के प्रति घृणा! परंतु क्या महिलाओं की परिभाषा में जैविक पुरुष को लाकर ये लोग स्वयं ही महिलाओं के प्रति अपनी घृणा को प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं? क्या इतने सरल वाक्य कि “जिसके गर्भाशय है, वही महिला है” को किसी भी समुदाय के प्रति घृणा से भरा हुआ वक्तव्य माना जा सकता है? नहीं! हाँ, जो लोग इस परिभाषा का विरोध कर रहे हैं, उन्हें अवश्य महिलाओं की सहज परिभाषा का शत्रु माना जा सकता है और वे कहीं न कहीं हैं भी, क्योंकि वे महिलाओं से उनका स्पेस, उनका अधिकार और उनकी परिभाषा ही छीन रहे हैं।


लेखिका - सोनाली मिश्रा

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