मदर्स रेसेपी के जिन्जर-गार्लिक पेस्ट का विज्ञापन: एक बार फिर से हिन्दू धर्म पर हमला

मदर्स रेसेपी के जिन्जर-गार्लिक पेस्ट का विज्ञापन: एक बार फिर से हिन्दू धर्म पर हमला
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सोनिया मिश्रा

किसी भी उत्पाद का विज्ञापन उसकी विशेषताओं आदि के आधार पर बनाया जाता है और यह माना जाता है कि जो भी पंचिंग लाइन है वह उसकी विशेषताओं को उभारेगी और जो कथा है, वह उसके आसपास रहेगी। मगर कई बार विज्ञापन ऐसे बनाए जाते हैं, जो समाज की मान्यताओं पर या कहें धर्म पर प्रहार होते हैं। भारत में विज्ञापनों के माध्यम से हिन्दू धर्म का विरोध बहुत आम रहा है। कई विज्ञापनों ने हिन्दू धर्म की मान्यताओं पर लगातार प्रहार किये हैं और लगातार उनका विरोध भी हुआ है। मगर यह भी बात सत्य है कि अभी तक ऐसे विज्ञापन लगातार बन रहे हैं।

मदर्स रेसेपी का जिन्जर गार्लिक पेस्ट का नया विज्ञापन

हाल ही में मसाले और अचार आदि उत्पाद बनाने वाली कंपनी मदर्स रेसेपी का जिन्जर गार्लिक अर्थात अदरख और लहसुन के पेस्ट का विज्ञापन जारी हुआ है। इस विज्ञापन की टैग लाइन है कि “माँ सब जानती है!” इसमें एक युवती अपने घर आ रही है और उसकी माँ उसे देखती है कि वह किसी लड़के की बाइक से उतर रही है। जब वह उसकी बाइक से उतरकर घर आती है तो उसकी माँ पूछती है कि वह लड़का कौन था? लड़की उसे अपना “राखी भाई” बताती है और कहती है कि उसकी चप्पल टूट गई थी, इसलिए वह उसे छोड़ने आया है। इस पर उसकी माँ एक अर्थपूर्ण मुस्कान के साथ कहती है कि “वैसे लड़का हैंडसम है” और फिर लड़की उसके गले लग जाती है।

इस विज्ञापन को बनाने वाले कौन लोग रहे होंगे, इस का तो पता नहीं चल पाएगा, परंतु यह विज्ञापन हिन्दू धर्म के एक बहुत बड़े विश्वास पर प्रहार करता है। भारत में राखी के माध्यम से भी भाई बनाने की परंपरा रही है। धागे की एक डोर ही एक अनजान पुरुष को भी उस डोर को बांधने वाली लड़की के प्रति अधिकार भाव से भर देती है। राखी की एक डोर उसे पीढ़ियों के रिश्तों में बांध लेती है। राखी भाई का महत्व एकदम सगे भाई जितना ही होता है। राखी का अर्थ ही है भाई, और भाई का अर्थ वह नहीं है जो इसमें माँ और बेटी बता रही हैं।

यह राखी का पर्व ही है जो लड़कियों के भीतर यह विश्वास उत्पन्न करता है कि वह इस धागे से अनजान व्यक्ति को भी एक लड़की के प्रति उसके उत्तरदायित्वों का बोध करा सकती है। राखी अर्थात भाई की सुरक्षा की प्रार्थना करना। वैसे तो राखी का अर्थ रक्षासूत्र होता है, अर्थात जिसके बांधा गया है, उससे वचन लिया गया है कि वह रक्षा करेगा और वह सूत्र उस व्यक्ति की रक्षा करेगा। परंतु फिर उसे राखी भाई नहीं कहते थे। राखी भाई का अर्थ ही यह हुआ कि लड़की ने भाई मानकर उस लड़के की रक्षा के लिए उसके हाथों में एक सूत्र बांध दिया है और अब यह जीवन भर का संबंध है। परंतु यह विज्ञापन इस मूल आधार पर प्रहार करता है। यह विज्ञापन हिन्दू धर्म के एक निश्छल और पवित्र पर्व को कलंकित करने का प्रयास है।

ऐसे प्रयास कई ब्रांड एवं उत्पाद प्राय: करते रहते हैं

ऐसा नहीं है कि मदर्स रेसेपी ने राखी भाई के नाम पर इस विज्ञापन के माध्यम से हिन्दू धर्म की मान्यताओं और परंपराओं पर प्रहार किया है। ऐसे प्रयास प्राय: ही कई ब्रांडस करते रहते हैं। हाल ही में गणेश चतुर्थी के अवसर पर बप्पा को लाने को लेकर पार्ले जी ने भी हिन्दू घृणा से भरा हुआ विज्ञापन बनाया था, जिसमें उसने यह दिखाया था कि हिन्दू धर्म लड़के और लड़की में भेदभाव करता है और लड़की को बप्पा को लाने से रोकता है और इस पर भी विवाद हुआ था।

विज्ञापनों को धर्म सुधार के रूप में दिखाना

विज्ञापन बनाने वालों को स्वयं में एक धर्म सुधारक दिखता है और वह भी विशेषकर केवल और केवल हिन्दू धर्म सुधारक। शेष पंथों के विषय में बात करने पर तो उन्हें पता है कि उनके साथ क्या हो सकता है? एक टैग लाइन है भी कि “गला सभी का सूखता है, डर सभी को लगता है!” रेड लेबल चाय के कई विज्ञापन हिन्दू समाज को खलनायक दिखाने वाले रहे थे। एक विज्ञापन में दिखाया गया था कि एक हिन्दू व्यक्ति गणपती की प्रतिमा लेने गया है, वहाँ पर उसे पता चलता है कि गणपती तो एक मुस्लिम बेच रहा है, तो वह खरीदने से हिचकता है, मगर जब वह उसके साथ चाय पीता है, तो उसका दिल बदल जाता है।

ब्रुक बॉन्ड ने तो कुम्भ जैसे अवसर को भी नहीं छोड़ा था। एक व्यक्ति को दिखाया था कि वह किसी धार्मिक मेले में गया है और अपने वृद्ध पिता को उसने वहीं छोड़ दिया है। मगर उसका दिल चाय पीते पीते बदल जाता है। यह हिंदुओं को ही नहीं बल्कि हिन्दू धार्मिक उत्सवों को भी इसी रूप में दिखाने का कुप्रयास था कि हिंदुओं के लिए उनके मातापिता बोझ होते हैं और वह उन्हें मेले में छोड़कर आ जाता है।

ऐसे एक नहीं कई विज्ञापन हैं, जिनमें हिन्दू धर्म की आस्थाओं को अपमानित किया गया है। मान्यवर से लेकर तनिष्क तक कई ब्रांडस हैं जो यह निरंतर करते आ रहे हैं। दीपावली को प्रदूषण का पर्व और होली को यौन उत्पीड़न का पर्व भी कई विज्ञापन बताने का असफल प्रयास करते हैं। सीएट टायर्स का आमिर खान का विज्ञापन याद ही होगा, जिसमें आमिर खान दीपावली पर पटाखे चलाने वाले बच्चों को उपदेश देते हुए दिखाई दे रहे हैं कि “सड़क पर पटाखे नहीं!” मदर्स रेसेपी के विज्ञापन के बाद एक बार फिर से यह पीड़ा सामने आई है कि हिन्दू धर्म पर विज्ञापनों के माध्यम से इतने प्रहार क्यों हो रहे हैं?


लेखिका - सोनिया मिश्रा

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