Home > लेखक > मजबूत है मोदी की कश्मीर नीति

मजबूत है मोदी की कश्मीर नीति

मजबूत है मोदी की कश्मीर नीति
X

डोनाल्ड ट्रम्प के हजारों झूठ में एक और वृद्धि हुई। उनके अनुसार नरेन्द्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश की है। अपने राष्ट्रपति के इस असत्य बयान पर अमेरिका लज्जित हुआ। वहां के प्रशासन को सफाई देनी पड़ी। उसने माना कि भारत मध्यस्थता का पक्षधर नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं किया है। इस प्रकार की सफाई किसी भी राष्ट्रपति के लिए शर्म की बात है। लेकिन ट्रम्प को इन बातों से फर्क नहीं पड़ता। वह ऐसे मसलों पर बेहयाई की हद पार कर चुके हैं। ट्रम्प का यह बयान उनके देश को शर्मसार कर गया। लेकिन बिडम्बना देखिए, भारत का विपक्ष ट्रम्प के इस झूठ पर भी उत्साहित है। उसने संसद में खूब हंगामा किया। कांग्रेस ने तो इस मुद्दे पर बहिर्गमन तक किया। इस कवायद से भारत के विपक्षी नेताओं की गम्भीरता पर भी सवाल उठा है।

कश्मीर पर अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान प्रथम दृष्टया ही खारिज करने लायक था। तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कौन कहे, नरेन्द्र मोदी ने तो इसे एक पक्षीय बना दिया है। अब कश्मीर में शांति बहाली के कारगर कदम भारत स्वयं उठा रहा है। पाकिस्तान को भी इसका सन्देश दिया जा चुका है।

कुछ ही समय पहले आम चुनाव में विपक्ष के नरेन्द्र मोदी विरोधी सभी मुद्दे धराशाई हुए थे। इसके बाद अनुमान था कि विपक्षी नेता मुद्दों के प्रति सावधानी दिखाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उधर झूठ बोलने का रिकॉर्ड बना रहे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का बयान आया, इधर भारत के विपक्षी नेता उछल पड़े। उन्हें लगा कि इस मुद्दे के बल पर वह चुनावी अवसाद से बाहर आ जाएंगे। ट्रम्प ने कहा था कि नरेन्द्र मोदी ने उनसे कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। यह केवल बचकाना ही नहीं बल्कि ट्रम्प की फितरत के अनुसार झूठा बयान था। हमारे विपक्षी नेताओं को इस पर सामान्य बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए था। भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर मध्यस्थता गोपनीय तरीके से संभव ही नहीं है। यदि मोदी ऐसा प्रस्ताव करते तो वह सार्वजनिक ही होता। इस पर डोनाल्ड ट्रम्प इतने दिन खामोश भी नहीं रहते। कश्मीर को द्विपक्षीय मसला मानना भारत की नीति है। नरेन्द्र मोदी इतने अनाड़ी और कमजोर प्रधानमंत्री नहीं हैं जो अमेरिका से मध्यस्थता की पेशकश करते।

इसके विपरीत नरेन्द्र मोदी ने इस मसले पर पाकिस्तान को ही अलग-थलग किया है। उसको यह सन्देश दिया गया कि आतंकवाद को रोके बिना द्विपक्षीय वार्ता की भी संभावना नहीं है। इस प्रकार नरेन्द्र मोदी तो कश्मीर मसले को एक पक्षीय बनाने की दिशा में चल रहे हैं। इसका मतलब है कि कश्मीर को भारत अपना अभिन्न अंग मानता है। वह सीमापार के आतंकवाद का मुंहतोड़ जबाब देता रहा है। सर्जिकल व एयर स्ट्राइक से आतंकी ठिकानों की कमर तोड़ेगा।

कश्मीर मसले पर नरेन्द्र मोदी सरकार के रुख को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर पर नहीं पाक अधिकृत कश्मीर के मसले पर भी बात होगी। राष्ट्रपति ट्रंप व प्रधानमंत्री मोदी के बीच कश्मीर मसले पर चर्चा नहीं हुई। इस बात की तस्दीक दोनों नेताओं की बातचीत के दौरान मौजूद रहे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी संसद के दोनों सदनों में की है। इसलिए इस मुद्दे पर विपक्ष का बेसुरा राग बंद हो जाना चाहिए। वैसे भी कश्मीर में मध्यस्थता का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि यह शिमला समझौता के विरुद्ध है। यह सरकार राष्ट्रीय स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं कर सकती। इससे अधिक प्रामाणिक कोई और बयान नहीं हो सकता।

क्या विपक्षी नेताओं को यह नहीं समझना चाहिए कि अमेरिका अपने राष्ट्रपति के बयान पर शर्मिंदा है। उस बयान का अधिकृत खंडन भी आ गया है। उनके बयान के कुछ घंटे बाद ही अमेरिका ने भूल सुधार लिया। दक्षिण एशिया के लिए शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का एक द्विपक्षीय मुद्दा है। ट्रम्प प्रशासन भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का स्वागत करेगा। विदेश मामलों की हाउस कमेटी के अध्यक्ष एलियट एल एंजेल ने अमेरिका में भारत के राजूदत हर्षवर्धन से बात की। उन्होंने भी कश्मीर पर द्विपक्षीय वार्ता का समर्थन किया। कहा, भारत और पाकिस्तान ही इस विषय पर निर्णय ले सकते हैं।

अमेरिका में चर्चा है कि ढाई वर्ष की अवधि में डोनाल्ड ट्रम्प दस हजार से अधिक बार झूठ बोल चुके हैं। ऐसा दावा वाशिंगटन पोस्ट की 'फैक्ट चेकर रिपोर्ट' में किया गया है। इसमें कहा गया है कि पिछले वर्ष ट्रम्प औसत 17 झूठ प्रतिदिन बोले थे।

अब अमेरिकी प्रशासन अपने राष्ट्रपति के बयान को कुछ घंटों में खारिज कर चुका है। भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने संसद में स्थिति साफ कर दी है। ऐसे में राहुल गांधी द्वारा इसे तूल देना हास्यास्पद ही कहा जाएगा। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा कि 'यदि इस बयान में सच्चाई है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों और शिमला समझौते से धोखा किया है।' राहुल गांधी ने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही नहीं वरन अमेरिकी राष्ट्रपति को भी टैग किया है। मतलब अमेरिका तक राहुल ने अपनी हंसी करा ली है। राहुल को समझना होगा कि नरेन्द्र मोदी अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की तरह नहीं हैं। जिन्होंने कश्मीर, सियाचिन और बलूचिस्तान पर भारतीय हितों के प्रतिकूल बयान दिए थे।

नरेन्द्र मोदी का इस विषय पर बयान न देना राष्ट्रीय हित में है। झूठ बोलना ट्रम्प की फितरत रही है। इस वजह से भारत अपने संबंध अमेरिका से खराब नहीं कर सकता। अमेरिका को अफगानिस्तान से बाहर निकलना है। इसके लिए उसे पाकिस्तान का सहयोग चाहिए। पाकिस्तान को बदहाली से राहत के लिए अमेरिकी सहायता चाहिए। इसी गफलत में झूठा बयान आया है।

(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री: लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Updated : 29 July 2019 2:12 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top