ईरान: मैराथन में बिना हिजाब के भाग लेने वाली महिलाओं के कारण आयोजक गिरफ्तार

रान इन दिनों कई कारणों से चर्चा में है। और लगभग सभी कारण नकारात्मक हैं। महिलाओं को लेकर ईरान में जो हो रहा है, उसके कई उदाहरण कई बार सामने आते रहते हैं। अनिवार्य हिजाब को लेकर हुई महसा अमीन की मृत्यु के बाद ईरान में जिस प्रकार से विरोध प्रदर्शनों का दौर चला, उसने पूरे विश्व को जैसे हिलाकर रख दिया। उसने यह दिखाया कि कैसे अनिवार्य हिजाब के कठोर कानून के तले ईरान में हत्याएं हो रही हैं।
महिलाओं को लेकर ईरान की सोच अत्यंत मध्ययुगीन है। महिला वहाँ पर कार में भी बिना हिजाब के नहीं चल सकती हैं। हालांकि कई बार ऐसा देखा गया है कि महिलाएं विद्रोह कर रही हैं और लगातार करती आ रही हैं। मगर ऐसा नहीं है कि लोगों ने सरकार के प्रति समर्पण किया हो और ऐसा भी नही है कि सरकार ने उत्पीड़न के लिए उठाए गए कदम वापस लिए हों।
क्या हुआ है नया मामला?
इस बार जो नया मामला सामने आया है, उसने ईरान की महिलाओं के प्रति असहिष्णु एवं दमनात्मक नीतियों को प्रदर्शित किया है। ईरान में एक मैराथन का आयोजन किया जाना था। इस दौड़ में लगभग 5000 लोगों ने भाग लिया था और इनमें भारी संख्या महिलाओं की भी थी।मगर जैसे ही ये तस्वीरें वायरल हुईं, वैसे ही ईरान में तहलका मच गया। और आयोजकों को हिरासत में ले लिया गया। जबकि ऐसा कुछ नहीं था, जो उस मैराथन दौड़ में गलत हुआ हो। ऐसा कुछ भी नहीं था, जो गलत कहा जा सकता है, न ही कोई अफरातफरी हुई थी और न ही अराजकता और न ही ऐसा लगा कि अभद्रता हुई हो। मगर कहा जाता है कि अभद्रता देखने वालों की दृष्टि में होती है। और ईरान की सरकार की दृष्टि में कब साधारण सा कुछ अभद्र हो जाए, पता ही नहीं चलेगा।
दरअसल एक साधारण और सहज चित्र, जिसमें हजारों लोग प्रतिभागिता कर रहे हैं, उसने ईरान सरकार को हिलाकर रख दिया। एक साधारण से चित्र में हजारों महिलाएं हैं, और वे बिना हिजाब के हैं। सोशल मीडिया पर देखते ही देखते ये चित्र वायरल हो गए। ईरान की जूडिशीएरी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में एक व्यक्ति कैश फ्री ट्रेड ज़ोन का एक अधिकारी है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर व्यापारियों और विदेशी कंपनियों के लिए कर और अन्य शुल्क से राहत प्रदान की जाती है। एक और जो व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया गया है, वह दौड़ आयोजित कराने वाली निजी कंपनी के लिए काम करता है। शुक्रवार को यह दौड़ आयोजित की गई थी। इसमे वे महिलाएं दिख रही हैं, जिन्होनें हिजाब नहीं पहना है और कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं, न्होनें सिर पर बैंड जैसा कुछ बांध रखा है, मगर उनकी पोनीटेल या कहें चोटी बाहर दिख रही है।
इस दौड़ के बाद जब विवाद हुआ और आयोजकों को गिरफ्तार करने की बात हुई तो वहाँ के सरकारी वकील ने कहा कि आयोजकों को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि उन्हें मुल्क के कानूनों, मजहबी रवायतों और पेशेवर नियमों का पालन करना है, मगर आयोजकों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। आयोजकों ने बेहयाई की और मुस्लिम महिलाओं को कानूनी रूप से अनिवार्य हिजाब, के बिना दौड़ में भाग लेने दिया, जो कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। ईरान में महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सिर खुला रखना अपराध है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी महिलाएं इस नियम का पालन करें, ईरान में मॉरल पुलिस भी है। इस पुलिस की महिला सैनिक उन महिलाओं को गिरफ्तार करती हैं, जो सार्वजनिक स्थल पर हिजाब के कानून का पालन नहीं करती है।
वर्ष 2022 में महसा अमीन की मृत्यु के बाद हुए आंदोलन के बाद यह माना जाने लगा था कि सरकार की ओर से कुछ नरमी बरती जाएगी और कुछ छूट दी जाएगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। आज भी ईरान में सैकड़ों लोगों को सजाएं दी जा रही हैं। उनपर आरोप कुछ और हो सकते हैं, परंतु अप्रत्यक्ष कारण अनिवार्य हिजाब का विरोध करना ही है। ईरान में इस अनिवार्य हिजाब के कानून को लेकर विरोध के बीच ईरान के राष्ट्रपति का यह बयान भी सामने आया था कि अनिवार्य हिजाब के कानून को बलात लागू नहीं किया जा सकता है और इसके लिए कुछ और कदम उठाने होंगे।
ईरान में महिलाओं के साथ हो रहे इन तमाम अत्याचारों पर कथित महिला विमर्श में चुप्पी रहती है
यह और भी बड़ी विडंबना है कि पूरा का पूरा पश्चिम से स्त्री विमर्श की जूठन पर उत्पन्न भारतीय कथित प्रगतिशील विमर्श ईरान में महिलाओं के साथ हो रहे इन तमाम अत्याचारों पर चुप रहता है। उसे गाजा में फिलिस्तीनी महिलाओं की पीड़ा दिखती है, मगर उसे ईरान में मरती हुई लड़कियां और मात्र अपने बाल खुले रखने की आजादी की मांग करने वाली लड़कियां नहीं दिखाई दे रही हैं। यहाँ तक कि जब वर्ष 2022 में महसा अमीन की मृत्यु के बाद पूरे विश्व में सेलेब्रिटी वर्ग से विरोध के स्वर उभर रहे थे और तमाम आंदोलन पूरे विश्व में आकार ले रहे थे, तब भी न ही बॉलीवुड से और न ही कथित प्रगतिशील स्त्री विमर्श से महसा अमीन की मृत्यु के विरोध में कोई स्वर आया हो, अब भी मैराथन के आयोजकों को केवल इसलिए हिरासत में लिए जाने जैसे विषय पर चुप्पी सधी है कि उस दौड़ में जो महिलाएं दौड़ रही थीं, उन्होनें हिजाब नहीं पहना था और सरकार के अनुसार उन्होनें बेहयाई की। ऐसे विषयों पर भारत ही नहीं अपितु वैश्विक विमर्श में चुप्पी खतरनाक है।
लेखिका - सोनाली मिश्रा
