ऑस्ट्रेलिया में किशोरों के लिए सोशल मीडिया प्रतिबंधित: भारत में भी किशोर हो रहे हैं शिकार

ऑस्ट्रेलिया में किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लग गया है। वे अब टिकटॉक और इंस्टा जैसे पोर्टल्स पर नहीं जा पाएंगे, हालांकि इसे कैसे तोड़ा जाए, उसका भी प्रयास किशोर कर रहे हैं, परंतु आधिकारिक रूप से किशोरों पर यह प्रतिबंध लग गया है कि वह सोशल मीडिया पर नहीं जाएंगे। इस निर्णय से प्रभावित होने वाले किशोरों की संख्या 10 लाख है। यदि सोशल मीडिया संचालित करने वाली कंपनी इस कानून का उल्लंघन करती हैं तो उनपर 49.5 मिलियन डॉलर का दंड लगेगा। इस कानून को 10 दिसंबर को लागू किया गया।
यह प्रतिबंध लगा क्यों था?
ऑस्ट्रेलिया दो किशोरों की सोशल मीडिया के कारण होने वाली मौतों से दहल गया था और जिसके कारण यह निर्णय लिया गया। जनवरी में मिआ बैनिस्टर की दुनिया तब पूरी तरह से अंधकारमय हो गई थी, जब उनके 14 वर्षीय बेटे ओलिवर ने अपने बेडरूम में अपना जीवन समाप्त कर लिया था। माँ ने अपने बेटे की इस स्थिति के लिए सोशल मीडिया को दोषी ठहराया था।
दरअसल ओलिवर anorexia nervosa से जूझ रहा था और यह ऐसी मानसिक अवस्था होती है, जिसमें इससे प्रभावित लोगों को यह डर लगता है कि उनका वजन बढ़ जाएगा तो वे कम खाते हैं। ओलिवर की माँ के अनुसार उसके साथ जो भी हुआ था, उसके लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है। दरअसल वह टिकटॉक पर समय बिताता था और हर चीज खाने वाला ऑलिवर डब्बाबंद टूना और चावल ही खाने लगा था और उसका वजन 74 किलो से घटकर केवल 50 किलो हो गया था और उसे अपने शरीर से नफरत होने लगी थी। और फिर उसे anorexia nervosa होने के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था।
जब यह पता लगने के बाद वह इलाज के लिए सोशल मीडिया पर गया तो सभी सोशल मीडिया पर उसे इस विकार के प्रति नकारात्मक वीडियो मिले और इन सभी ने उसे इतना बेचैन कर दिया कि उसने अपनी ज़िंदगी ही समाप्त कर दी। उसकी माँ ने कहा कि अपनी मौत से एक साल पहले ऑलिवर ने अपनी माँ से रोते हुए कहा था कि उसके दो कथित दोस्तों ने उससे स्नैपचैट पर कहा कि उसे मर जाना चाहिए।
भारत में भी किशोर ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया का शिकार हो रहे हैं
ऑस्ट्रेलिया में तो किशोरों के लिए यह प्रतिबंधित हो चुका है। परंतु भारत की यदि बात करें तो ऐसे कई मामले भारत में भी आए, मगर ऐसी मांग नहीं उठी कि किशोरों के लिए सोशल मीडिया को प्रतिबंधित कर दिया जाए। ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में कई किशोर मौत को गले लगा रहे हैं। हालांकि पबजी जैसे गेम्स को प्रतिबंधित किया गया है, परंतु सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर कोई बात नहीं है।
सोशल मीडिया पर जो भी कंटेन्ट आता है, उसकी निगरानी भी नहीं होती है और ऐसे भी कंटेन्ट होते हैं, जिनके कारण बच्चे कम उम्र में गलत राह पर चले जाते हैं। सोशल मीडिया के प्रभावों के कारण आत्महत्या का सबसे चर्चित मामला मिशा अग्रवाल का रहा था। मिशा ने 24 अप्रेल 2025 को अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी और परिवारवालों के अनुसार उसने यह कदम इसलिए उठाया था कि इंस्टाग्राम पर उसके फॉलोअर्स कुछ कम हो गए थे। और वह यह बर्दाश्त नहीं कर पाई थी।
लव जिहाद में वृद्धि का माध्यम भी कहीं न कहीं बना सोशल मीडिया
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि किशोरियों को लव जिहाद के जाल में फँसाने के लिए भी कहीं न कहीं सोशल मीडिया जिम्मेदार है। कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें किशोरियों को झूठे नाम से प्रेम जाल में फँसाया और फिर मिलने पर जबरन शारीरिक संबंध बनाए और फिर सच्चाई सामने आने पर लड़की का मतांतरण कराया। हाल ही में 24 नवंबर 2025 को उत्तर प्रदेश से मामला आया था सामने कि जुनैद ने आर्यन बनकर किशोरी को प्रेमजाल में फँसाकर दुष्कर्म किया। किशोरी 12 नवंबर से गायब थी।
इसमें भी आरोपित ने आर्यन राजपूत के नाम से आइडी बना रखी थी। नेट पर ऐसी तमाम घटनाएं हैं, जिनमें एक सेट पैटर्न है कि इंस्टाग्राम पर हिन्दू नाम से आईडी बनाकर मुस्लिम लड़कों ने हिन्दू नाबालिग लड़की को अपने जाल में फँसाया और फिर उसका यौन शोषण किया। उसका धर्म बदलने का प्रयास किया। जनवरी में ही भारत नेपाल सीमा पर सोनौली बॉर्डर पर ऐसा ही मामला सामने आया था।
जुलाई में श्रावस्ती से ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें सोशल मीडिया पर एक नाबालिग से नाम और धर्म बदलकर दोस्ती की और फिर मुस्लिम युवक ने किशोरी को गर्भवती करके छोड़ दिया था। अक्टूबर में कानपुर से ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें फ़ेसबुक को माध्यम बनाया गया था।
ऐसे असंख्य मामले हैं, जिनमें सोशल मीडिया पर पहचान छिपाकर अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा हिन्दू लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है और कई लड़कियां हिंसा का शिकार हो रही हैं। क्या ऐसे में भारत में भी किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए, जिससे कि वे परिपक्व होने से पहले सोशल मीडिया के जाल में न फंस सकें और खतरों को पहचान सकें।
लेखिका - सोनाली मिश्रा
