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उपद्रवियों ने ऐसे देहलाया दिल्ली ...

नागरिकता कानून के विरोध में शुरू हुआ उपद्रव दंगो में बदला

Update: 2020-03-02 09:13 GMT


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वेबडेस्क। नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने के बाद विपक्षी पार्टियों ने देश में भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी है। लोगों के बीच यह भ्रम फैलाया गया की इस कानून से देश में कुछ लोगो की नागरिकता चली जाएगी।  देश के कई शिक्षण संस्थानों में भी इसका विरोध शुरू हो गया जो बाद में शाहीन बाग़ में स्थायी धरने के रूप में सामने आया. जहाँ देश के अनेक हिस्सों से लोग विरोध करने के लिए पहुँचने लगे. देश भर से पहुँचने वाले आम और खास लोगो ने सरकार और कानून के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया. शाहीन बाग़ में लम्बे समय तक चले इस इस विरोध प्रदर्शन का खर्चा कैसे चल रहा हैं ? कहाँ से पैसा आ रहा हैं ? कुछ चुनिंदा मीडिया प्रतिनिधि ही इस क्षेत्र में जा पा रहें थे? प्रश्न उठने लगे की आखिर पैसा कहाँ से आ रहा हैं? कौन लोग इसका खर्चा उठा रहें हैं ? 


अफवाहें इतनी बढ़ती चली गई की इसने दिल्ली में दंगो का रूप ले लिया ठीक अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे और दिल्ली पहुँचने के समय हुई इस हिंसा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जैसे की यह हिंसा वास्तविकता में किन्हीं कारणवश भ्रम की स्थिति से हुई है या इस हिंसा के पीछे देशविरोधी और बाहरी शक्तियों का हाथ है ? जो हमारी नजर में नहीं आ रहा क्योकि ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब दिल्ली और देश की जनता के मन में उठ रहे हैं की कैसे दिल्ली में एक घर की छत पर हजारों की संख्या में पत्थर एक साथ कैसे आ गए ? कैसे पेट्रोल बम्ब और तेज़ाब एक साथ एक छत पर इकठ्ठा हो गया? छत के मुहाने पर गुलेल कैसे लग गई ?

हमारे लिए यह समझना बेहद जरुरी है की दिल्ली में जो हिंसा हुई है वह एकाएक बिलकुल नहीं हुई. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  भारत की छवि को सिर्फ खराब करने का प्रयास मात्र था। जिसके पीछे भारत और केंद्र सरकार विरोधी ताकतों का हाथ हो सकता हैं। जिसकी जाँच की जाना बेहद जरुरी हैं।    

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