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CAA के खिलाफ एएमयू में भड़काऊ भाषण देने वाले डॉ कफील पर लगा रासुका

Update: 2020-02-14 07:29 GMT

अलीगढ़। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी डॉ कफील खान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वह इस मामले में आज ही मथुरा जेल से जमानत पर रिहा होने वाले थे लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई कर दी है। देशभर में सीएए के विरोध में एनएसए तामील किए जाने की यह पहली कार्यवाही है।

मथुरा जेल में बंद डॉ कफील को सीजेएम कोर्ट से इस सप्ताह सोमवार को ही जमानत मिली थी, लेकिन उनकी रिहाई नहीं हुई थी। डॉ कफील ने 12 दिसंबर को एएमयू में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसके बाद थाना सिविल लाइंस में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में यूपी पुलिस की एसटीएफ ने उन्हें 29 जनवरी को मुबंई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। वहां से उन्हें अलीगढ़ लाया गया था और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में मथुरा भेज दिया गया था।

पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर कफील खान को भड़काऊ भाषण देने की वजह से गिरफ्तार किया गया था। थाना सिविल लाइन में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। फिलहाल वह मथुरा की जेल में हैं। कफील खान के वकील ने कोर्ट में उनकी जमानत की अर्जी डाली थी, जिस पर 10 फरवरी को सीजेएम कोर्ट ने डॉ कफील को जमानत दे दी थी। अदालत ने 60 हजार रुपये के दो बांड के साथ सशर्त जमानत दी थी। साथ ही कहा था कि वो भविष्य में इस तरह की घटना को नहीं दोहराएंगे। आपको बता दें कि कुछ समय पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 बच्चों की मौत के मामले में निलंबित किए जाने के बाद डॉक्टर कफील खान सुर्खियों में आए थे। हालांकि बाद में इस मामले में उनको क्लीन चिट दे दी गई थी।

इस मामले पर अलीगढ़ के डीएम चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि डॉ कफील खान पर रासुका तामील कर रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी गई है। रासुका तामील होने के बाद उनकी जमानत पर जेल से रिहाई रोक दी गई है।

रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने की शक्ति देता है। यह अधिकार केंद्र और राज्य सरकार दोनों को समान रूप से मिले हैं। रासुका लगाकर किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है, हालांकि तीन महीने से ज्यादा समय तक जेल में रखने के लिए एडवाइजरी बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा होने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के आधार पर रासुका लगाया जा सकता है। 

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