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अतीक अहमद का खेल खत्म, सपा सरकार ने केस लिए थे वापस, योगी शासन में मिली सजा

योगी सरकार ने अभियोजन और पुलिस के समन्वय से कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर माफिया अतीक को दिलाई सजा

Update: 2023-03-28 12:40 GMT

प्रयागराज। उप्र के इतिहास में 43 साल में जो नहीं हो पाया, वह छह साल की योगी आदित्यनाथ की सरकार में हुआ। पहली बार माफिया अतीक को किसी मामले में सजा हुई। मुकदमों का शतक लगा चुके माफिया अतीक अहमद की जिंदगी अब सलाखों के पीछे कटेगी। हत्या, अपहरण, दंगा, फिरौती, लूट, डकैती और अवैध जमीन कब्जा सहित कई गंभीर मुकदमों को अपने गले का 'हार' बनाकर घूमने वाले अतीक को एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को उमेश पाल अपहरण कांड में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

यह सजा उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए नजीर है। 100 मुकदमों का यह आरोपी पहले जब खुलेआम घूमता था तो यही लगता था कि 'कानून की पकड़ में वह नहीं आएगा। लोगों के मन मस्तिष्क में एक बोर्ड लग गया था। 'पुलिस, कोर्ट, कचहरी और न्याय जैसे शब्दों की सीमा जहां समाप्त होती थी, वहीं से अतीक के आतंक की 'सीमा' प्रारंभ होती है'। लोग माफिया को माननीय का 'पर्याय' समझने लगे थे। लेकिन योगी सरकार ने माफिया को उसकी सही जगह बताई। पहली बार अतीक के चेहरे पर सरकार और कानून का डर दिखा। देश और प्रदेश की जनता ने यह भी देखा कि अभियोजन और पुलिस का बेहतर समन्वय हो और कोर्ट में प्रभावी पैरवी की जाए तो बड़े से बड़े अपराधी को अपने गुनाहों का हिसाब देना पड़ता है और उसे जेल जाना ही पड़ता है।

17 साल पुराने मामले में अतीक समेत कुल 11 को आरोपित बनाया गया था। इसमें से एक आरोपित की मौत हो गई है। मंगलवार की सुबह इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनवाई शुरू की। कोर्ट रूम के कटघरे में 10 आरोपी खड़े थे। दो बजे के करीब जज दिनेश चंद्र ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने अतीक अहमद दिनेश पासी और खाना शौलत हनीफ को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही अतीक के भाई अशरफ समेत सात आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया।एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला सुनते ही अतीक अपने भाई अशरफ से लिपटकर रोने लगा। कानून के सामने अतीक को इस तरह गिड़गिड़ाते देखना उमेश पाल के परिवार को सुकून पहुंचाने वाला तो था ही। साथ ही चार दशक से ज्यादा समय से न्याय की आस में अपनी एड़ियां घिस रहे तमाम उन मासूम परिवारों के चेहरे पर भी मुस्कान लाने वाला था, जिन्होंने अतीक का जुर्म झेला था।

राज्य सरकार के प्रवक्ता कहते हैं कि एक समय ऐसा था जब सपा सरकार में इस माफिया पर से मुकदमे वापस लिए जाते थे। सार्वजनिक मंचों पर सपा नेता उसके साथ मंच साझा करते थे और अपनी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़वाते थे। अतीक माफिया राजनीति और अपराध के गठजोड़ की मिसाल बन गए था। यह अपराध और अपराधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी की जीरो टॉलरेंस की नीति का परिणाम है कि कानून से ऊपर माने जाने वाले माफिया का अभेद्य किला ध्वस्त हो गया। इससे माफिया और उसके हितैषी बौखलाए और घबराए हुए हैं। 

इस मामले में मिली सजा 

अतीक और उसके दो सहयोगियों को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल के अपहरण के मामले में सजा मिली। गवाही बदलवाने के लिए 17 साल पहले अतीक और उसके गुर्गों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। उन्हें अपने दफ्तर ले जाकर टार्चर किया और फिर जबरदस्ती हलफनामा दिलवाकर गवाही बदलवा दी। अतीक के चंगुल से मुक्त होकर उमेश पुलिस के पास गए और मुकदमा दर्ज करवाया। आज कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अतीक समेत बाकी दोनों आरोपियों को धारा-364ए/34, धारा-120बी, 147, 323/149, 341,342,504, 506 के सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसी के साथ उमेश के साथ अतीक के गुनाहों का पहला इंसाफ हो गया है।

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