रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने कानपुर, कौशांबी तथा जौनपुर में ईसाई मिशनरियों के कन्वर्जन पर जताई चिंता

ऐसी घटनाएं धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध होने के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी हो सकती हैं एक बड़ा खतरा

Update: 2024-04-03 12:41 GMT

लखनऊ। कानपुर, कौशांबी तथा जौनपुर में ईसाई मिशनरियों द्वारा जबरन मत परिवर्तन कराए जाने की घटना पर राष्ट्रीय लोक दल ने चिंता प्रकट की है। राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने एक बयान में कहा कि धर्मांतरण की उपरोक्त तीनों घटनाओं से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम’ लागू होने के पश्चात भी ईसाई मिशनरियां कितनी षड्यंत्र-पूर्वक एवं गुपचुप तरीके से मतांतरण की घटनाओं को अंजाम देने में लगी हैं। ऐसी घटनाएं संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध होने के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा हो सकती हैं।

रालोद नेता अनुपम मिश्रा ने कहा कि संविधान की उद्देशिका और मौलिक अधिकारों के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद-25-28 तक के उपबंध धर्म और उपासना में न केवल समानता की प्रत्याभूति देते हैं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को इस बात की स्वतंत्रता है कि वह अपनी इच्छा से किसी भी धर्म अथवा उपासना की पद्धति को अपना सकता है। इसका अर्थ यह क़तई नहीं है कि लोगों को लालच या दबाव बनाकर उनका मतांतरण कराया जाए। स्टेनिसलास बनाम मध्य प्रदेश राज्य एआईआर-1970 सुको-908 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करना आपराधिक कृत्य माना जाएगा। मतांतरण की घटनाएं मूलत: शहर से दूर-दराज के उन क्षेत्रों में अधिक हैं जहाँ लोग अशिक्षित एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग निवास करते हैं। ऐसे लोगों को लालच और उनकी अज्ञानता का लाभ उठाकर उन्हें बरगलाकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए विवश किया जाता है।

रालोद नेता ने बताया कि अशिक्षित अथवा आर्थिक रूप से विपन्न लोग इनके प्रलोभनों में आकर मत परिवर्तन के लिए हामी भर देते हैं। अतः सरकार को ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करते हुए साथ ही इस विषय की गंभीरता को समझते हुए ऐसी संस्थाओं एवं व्यक्तियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे मतांतरण से सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश पर व्यापक स्तर पर नकारात्मक असर पड़ता है।

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