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योगी सरकार की पहल पर सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षित हुए शहर, अपराधी पकड़ने में होगी आसानी

Update: 2022-12-14 14:46 GMT

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजकल हर प्रबुद्धजन सम्मेलन में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को ट्रैफिक से जोड़ने और शहरों को सेफ सिटी बनाने की योजना पर जरूर बात करते हैं। वह कहते हैं कि हमारे शहर अब स्मार्ट के साथ-साथ सेफ भी हो रहे हैं। कोई अपराधी अगर एक चौराहे पर घटना को अंजाम देगा तो दूसरे चौराहे पर पुलिस उसको ढेर कर देगी। मुख्यमंत्री की इसी मंशा को देखते हुए प्रदेश के 16 शहरों में पांच हजार सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। यह कैमरे हर चौराहे, प्रमुख मार्गों, एक्सप्रेस-वे और रेलवे व मेट्रो स्टेशन पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।

इन शहरों में इंस्टाल किए गए हैं सीसीटीवी कैमरे

यह योजना केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मिलकर शुरू की गई है। जहां केंद्र की ओर से कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, झांसी, सहारनपुर और मुरादाबाद जैसे शहरों में सीसीटीवी इंस्टॉल करने के लिए केंद्र की ओर से मदद की गई है। वहीं अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, फिरोजाबाद, मेरठ, शाहजहांपुर, गोरखपुर और गाज़ियाबाद में राज्य सरकार की ओर से अनुदान जारी किया गया है। इनके इंस्टालेशन में निजी कंपनियों का भी सहयोग लिया गया है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जहां नगर विकास विभाग ने इंस्टालेशन की जिम्मेदारी संभाली तो वहीं एक्सप्रेस-वे पर यूपीडा, टोल प्लाजा पर एनएचएआई, रेलवे स्टेशन पर और मेट्रो स्टेशन पर सीसीटीवी लगाए गए हैं। इन सबको इंटेग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से जोड़ा गया है। वहीं इंस्टीट्यूशनल फाइनेंस जैसे बैंक या एटीएम में इंस्टालेशन के लिए निजी कम्पनियों के माध्यम से इंस्टालेशन किया गया है। दुकानों और बाजारों के लिए टैक्स एंड रजिस्ट्रेशन व अपार्टमेंट्स और घरों के लिए हाउसिंग डिपार्टमेंट नोडल एजेंसी बनी है।

पांच हजार सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षित हुए प्रदेश के 16 शहर

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम की सिटी और स्टेट लेवल पर मॉनिटरिंग की जा रही है। उदाहरण के तौर पर कानपुर के इंटेग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के जरिए 800 से ज्यादा कैमरों को कवर किया जा रहा है। इसके तहत 16 वर्क स्टेशन काम कर रहे हैं,वहीं स्टेट लेवल पर 5000 कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए 16 स्मार्ट शहरों को कनेक्ट किया गया है। इन सेंटर्स के जरिए मिलने वाले डेटा को जल्द ही फ़िल्टर करके वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा और इसके माध्यम से आम नागरिकों को जागरूक किया जाएगा।

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