भीड़ हिंसा और गलत जानकारी देकर समाज में भ्रम फैलाने वाले संदेशों को लेकर सरकार के दवाब के बाद सोशल मैसजिंग ऐप व्हाट्सएप ने ज्यादतर मांगे मान ली हैं सिवाय एक को छोड़कर और वह है संदेश उद्भव तक पहुंचना, यानी किसने गलत प्रचार की शुरुआत की थी।
व्हाट्सएप का तर्क है कि यह उसकी निजता और गोपनीयता संबंधित नीति के विरूद्ध है। कंपनी का कहना है कि इस नीति के चलते व्हाट्सएप के संदेश एक से दूसरे तक भेजे जाते समय पूरी तरह के इंक्रीप्टिड है। ऐसे में कंपनी को संदेशों की उद्भव को तलाशने के लिए नीति में बदलाव करना होगा।
एक अंग्रेजी दैनिक के समाचार के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी केवल कुछ जानकारी को ही अस्थाई आधार पर अपने सर्वर पर रखती है ताकि ऑफलाइन होने के बावजूद संदेश प्राप्त किए जा सकें। इसके अलावा उपयोगकर्ता के संदेशों और अन्य जानकारी उसके सर्वर पर सेव नहीं होती है। यह मुद्दा केवल व्हाट्सएप से जुड़ा नहीं है बल्कि यह गूगल और एप्पल की नीति से भी जुड़ा है जो संदेश भेजने वाली इस तरह की एप्लीकेशन को प्लेटफार्म देती हैं।
हाल ही में केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने व्हाट्सएप के सीईओ से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने सरकार का पक्ष रखा था। मुलाकात के बाद केन्द्रीय मंत्री का कहना था कि वार्तालाप काफी सकारात्मक थी और कंपनी उनकी ओर से रखी गई ज्यादातर मांगें मानने को तैयार है।