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नाम के अनुरूप विश्वविद्यालय का काम भी ऐतिहासिक होना चाहिये : मुख्यमंत्री

Update: 2018-07-30 14:52 GMT

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मगध विश्वविद्यालय को दो हिस्सों में बांटकर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है और इसके नाम के अनुरूप ही इसका काम भी होना चाहिए1

श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना का उदघाटन करते हुए नीतीश कुमार ने सोमवार को यहाँ कहा कि वह शिक्षा को अत्यधित महत्त्व देते हैं और परिनामस्वरूप उनके कार्यकाल में कई विश्वविद्यालयों की स्थापना हुयी 1 पाटलिपुत्र के एतिहासिक महत्व की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास को हमेशा अह्मियत देना चाहिए। पटना का नाम बदलकर पाटलिपुत्र करने के प्रस्तावों को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि नाम बदलने से अच्छा है कि में पाटलिपुत्र का महत्व समझकर उसकी इज्जत करना । नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र का नाम जितना ऐतिहासिक है, काम भी उतना ही ऐतिहासिक होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का की परियोजना की कुलाधिपति से चर्चा की जायेगी और इसके लिए हर आवश्यक मदद राज्य सरकार करेगी। नीतीश कुमार ने कहा कि परंपरा से अलग हटकर काम करने की उनके आदत की वजह से ही चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, चन्द्रगुप्त इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना हुई । उन्होंने कहा कि चाणक्य के नाम पर लॉ यूनिवर्सिटी और चन्द्रगुप्त के नाम पर जब मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की स्थापना हो रही थी, तब कुछ लोगों ने यह कहना शुरू किया कि अर्थशास्त्र के जानकार चाणक्य के नाम पर लॉ यूनिवर्सिटी का नाम और चन्द्रगुप्त के नाम पर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की स्थापना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि चन्द्रगुप्त की प्रबंधन नीति अंत्यंत कुशल थी और चाणक्य अर्थशास्त्री के साथ-साथ विधिवेत्ता भी थे।

नीतीश कुमार ने कहा कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय भी कुछ अन्य विश्वविद्यालयों की तरह गंगा के तट पर अवस्थित है । मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम पाटलिपुत्र है इसलिए शान्ति, सद्भाव, मैत्री एवं एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए। विश्वविद्यालय में सिर्फ किताबी ज्ञान से समुचित विकास नहीं होगा, इसके लिए आपसी प्रेम और भाईचारा भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को चन्द्रगुप्त इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट में जगह दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी चिंता छोड़ शिक्षकों को पूरी तन्मयता के साथ छात्र-छात्राओं का ख्याल रखना चाहिए और छात्रों के प्रति उनका समर्पण भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षा विभाग को कहा जा चुका है। उन्होंने कहा कि सात निश्चय के अंतर्गत पूरे बिहार में युवाओं के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, जी0एन0एम0 संस्थान, आई0टी0आई0, महिला आई0टी0आई0 और पारा मेडिकल संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा मुहैया करायी गयी है ताकि छात्र-छात्राएं इन्टरनेट का इस्तेमाल कर सकें।

उन्होंने कहा कि 2005 में राज्य की कमान संभालने समय 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे किन्तु आज सरकार की पोशाक योजना और साइकिल योजना के कारण बच्चे स्क्कोलों में जाने लगे 1 ग्रॉस एनरालमेंट रेशियो को 30 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ाने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की गयी, जिसके माध्यम से छात्रों को 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए 4 प्रतिशत ब्याज दर पर 4 लाख रुपये ऋण देने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर, लड़कियों और दिव्यांगों को 12वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए 1 प्रतिशत ब्याज दर पर 4 लाख रूपये का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। पूर्व से मिलने वाली छात्रवृति एवं अन्य सुविधाओं के अतिरिक्त स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ सभी छात्रों को दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2005-06 में शिक्षा का बजट मात्र 4,261 करोड़ रुपये हुआ करता था, वह बढ़कर 2017-18 में 25,252 करोड़ और 2018-19 में 33 हजार करोड़ रुपये पर पहुँच गया है। बिहार में अब कुल बजट का 20 प्रतिशत से अधिक शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है ताकि एक-एक व्यक्ति साक्षर और शिक्षित बन सके।

समारोह को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति गुलाबचंद राम जायसवाल तथा अन्य लोगों ने सम्बोधित किया । 

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