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सांसद निधि का रुपया खर्च करने के मामले में बंगा‌ल के राज्यसभा सांसद शीर्ष पर

Update: 2018-11-16 09:48 GMT

कोलकाता। सांसद निधि के तहत मिलने वाली धनराशि को विकास के लिए खर्च करने के मामले में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद शीर्ष पर हैं। शुक्रवार को यह जानकारी दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़े के अनुसार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसदों ने सांसद निधि का 101.25% हिस्सा विकास कार्यों में खर्च किया है। इसकी पुष्टि संसदीय कमेटी के अध्यक्ष और राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह ने की है। शुक्रवार को उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के राज्यसभा सांसदों ने 101.25% की धनराशि सांसद निधि से खर्च की है। हालांकि इस मामले में लोकसभा सांसद पीछे हैं। उन्होंने बताया कि लोकसभा सांसदों की सांसद निधि का खर्च औसतन 90% है। हालांकि यह आंकड़ा भी देश के बाकी हिस्सों की तुलना में बेहतर है।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही कोलकाता में संसदीय समिति की बैठक हुई थी जिसमें पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और सिक्किम में सांसद निधि के जरिए किए गए विकास कार्यों की समीक्षा की गई थी। इस समिति में 13 लोग हैं जिनमें से हरिवंश नारायण समेत छह अधिकारी कोलकाता पहुंचे थे। इसके बाद ही शुक्रवार को इसकी समीक्षा रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि सांसद निधि से धनराशि खर्च कर विकास कार्य करने के मामले में पश्चिम बंगाल के राज्यसभा सांसद अग्रणी है।

इस बारे में पूछने पर तृणमूल के राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के पूर्व विधायक मानस भुइयां ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का स्पष्ट निर्देश है कि सांसद निधि का 1 रुपया भी बचा हुआ नहीं रहना चाहिए। पूरी धनराशि का इस्तेमाल विकास कार्यों में होना चाहिए। इसको ध्यान में रखते हुए प्रति वर्ष सांसद निधि के रूप में मिलने वाले पांच करोड़ रुपये की धनराशि को विकास कार्यों में लगातार खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि मिलने वाली राशि से भी अधिक कई बार खर्च हो जाती है जिस की सूची बनाकर संसदीय समिति को सौंपी गई है। इसके साथ ही दस करोड़ रुपये वार्षिक तौर पर सांसद निधि के रूप में आवंटित करने की मांग भी तृणमूल की ओर से की गई है।

हालांकि इस बारे में पूछने पर भाजपा की राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली ने राज्य सरकार पर असहयोगिता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सांसद निधि का रुपया खर्च करने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार बिल्कुल भी सहयोग नहीं करती है। अगर किसी इलाके का विकास करने की योजना बनाई जाए तो राज्य सरकार उसमें टांग अड़ा देती है ताकि उस विकास का श्रेय किसी और को नहीं मिले। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले महीने मैंने कोशिश की थी कि आसनसोल में एक रेलवे स्टेशन बनवाउं लेकिन राज्य सरकार ने इसकी सहमति ही नहीं दी। 

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