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प्रदेश का पहला उपचुनाव 1964 में यहीं जीता, 1952 से 2004 तक सक्रिय रहे

मंदसौर में अटल इरादों वाली नींव रखी वाजपेयी ने

Update: 2018-08-17 14:14 GMT

मंदसौर। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कवि हृदय अटलबिहारी वाजपेयी का मंदसौर जिले से विशेष प्रेम रहा। वे 1952 के वक्त से मंदसौर में सक्रिय रहे और जनसंघ की जड़ें ऐसी गहरी कीं। आगे जाकर यही क्षेत्र भाजपा का गढ़ बना। 1964 में वाजपेयी ने सीतामऊ के उपचुनाव में जनसंघ प्रत्याशी ठाकुर किशोरसिंह सिसौदिया के लिए प्रचार किया और कांग्रेस के दबदबे वाले प्रदेश में जीत दिलाई। 2004 तक मंदसौर संसदीय क्षेत्र में आते रहे। वाजपेयी अन्य राज्यों समेत देश के विभिन्न हिस्सों में अकसर मंदसौर लोकसभा का उदाहरण दिया करते थे, यहां 8 बार सांसद रहे डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय से उनकी गहरी मित्रता थी।

मंदसौर विधायक यशपालसिंह सिसौदिया का कहना है कि दशकों तक अटलजी का मंदसौर से लगाव रहा। उनके परिश्रम के बूते ही मंदसौर संसदीय क्षेत्र जनसंघ से लेकर भाजपा तक मंदसौर का गढ़ बना रहा है। लोकसभा, विधानसभा, जिपं, जनपद, नपा, मंडी समेत जितने भी चुनाव हुए हैं, केवल भाजपा पर ही लोगों ने विश्वास जताया। अटलजी के निधन से अपूरणीय क्षति हुई है।

1964 के उपचुनाव में सीतामऊ सीट पर जनसंघ ने ठाकुर किशोरसिंह सिसौदिया (दिवंगत) को प्रत्याशी बनाया। उनके पक्ष में अटलजी ने कयामपुर समेत अन्य हिस्सों में ट्रैक्टर पर सभाएं की। चुनाव में मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार जनसंघ को उपचुनाव में जीत मिली। ठाकुर किशोरसिंह ने चुनाव में कांग्रेस के भंवरलाल नाहटा को 450 से अधिक मतों से मात दी थी। जिला अस्पताल के सामने 1971 में पं. उपाध्याय की प्रतिमा का अटलजी ने अनावरण किया। उस वक्त जनसंघ जिलाध्यक्ष किशोरसिंह सिसौदिया थे, उनके पुत्र मंदसौर विधायक यशपालसिंह बताते हैं कांग्रेस शासनकाल होने से प्रतिमा लोकार्पण पर ध्यान नहीं दे रहे थे। ऐसे में अटलजी खुद आए। 13वीं लोकसभा में अटलजी एनडीए से पीएम पद के उम्मीदवार तय होने के बाद मंदसौर आए। यहां भाजपा जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक रहे ओमप्रकाश पुरोहित के निवास पर भोजन किया था। सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय समेत अन्य नेताओं से उनकी भेंट हुई। 

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