माता-पिता की बेरूखी से मासूम बालिका घर से भागी
बच्चों के प्रति माता-पिता की मामूली बेरूखी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकती है।
आरपीएफ चौकी प्रभारी को मिली वेटिंग रूम में मासूम
डबरा | बच्चों के प्रति माता-पिता की मामूली बेरूखी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकती है। जिसका उदाहरण डबरा आरपीएफ चौकी में देखने को मिला कि अगर मासूम हानियां पर आरपीएफ चौकी प्रभारी की नजर नहीं पड़ती तो मासूम के साथ कोई भी घटना घटित हो सकती थी। लेकिन आरपीएफ चौकी प्रभारी की तेज तर्रार नजरें अपराध घटित होने से पूर्व ही अपराधी पर रहती है। उप निरीक्षक एन एल मीणा ड्यूटी से लौटकर जब अपने घर जा रहा था तभी उसे डबरा रेलवे स्टेशन के वेटिंग हॉल में एक बालिका बैठी हुई दिखाई दी। बालिका के पास पहुंचकर उसने गुमसुम बैठे रहने का कारण पूछा तो बालिका ने बताया कि वह आगरा की रहने वाली है और घर में पिटाई से नाराज होकर भाग आई है। बाद में मीणा ने बालिका से बाल सुलभ व्यवहार के साथ पूछताछ की। तो उसने अपने परिवार और घर के बारे में पूरी जानकारी दी। बालिका के मुताबिक उसका नाम हानियां पुत्री भीकम सिंह उम्र 13 वर्ष जाति कुशवाहा निवासी पुष्पांजलि कॉलोनी शाहगंज थाना शाहगंज जिला आगरा बताया।
माता-पिता की बेरूखी
बालिका ने बताया कि वह 2 वर्ष पूर्व दिमागी तौर पर ठीक नहीं थी। तो उसके मां-बाप ने उसे आशा किरण आश्रम रोहिणी दिल्ली में छोड़ दिया। जहां उसका इलाज हुआ वह अभी ठीक थी और घर पर रह रही थी, आज सुबह उसकी मां ने उसके साथ मारपीट की। इस कारण से आवेश में आकर वह सुबह घर से भाग गई और आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर किसी गाड़ी में बैठ कर यहां डबरा रेलवे स्टेशन उतर गई थी।
महिला आरक्षक के साथ माता-पिता के पास पहुंचेगी मासूम
दरअसल आरपीएफ के सामने मुश्किल यह थी कि बालिका को कहां रखा जाए। इस पर प्रभारी निरीक्षक द्वारा आदेशित किया गया कि बालिका को रेल सुरक्षा बल पोस्ट ग्वालियर भेज दिया जाए। जहां पर महिला आरक्षक की तैनाती है, इस पर प्रधान आरक्षक राजेंद्र सिंह को बालिका को लेकर गाड़ी संख्या 1057 दादर एक्सप्रेस में गाड़ी की एस्कॉर्ट पार्टी के साथ ग्वालियर के लिए रवाना किया गया। इसके बाद ग्वालियर से इस बालिका को उसके माता-पिता तक पहुंचाया जाएगा।