वाह रे जीडीए ! यह कैसा विकास कृषक की जमीन का अधिग्रहण किए बगैर बना डाली रोड
सर्वे क्रमांक 217 पर ग्वालियर और गांधी गृह निर्माण समिति को गलत ढंग से कर दिए भूखंड आवंटित
ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण के पास एक से एक बढक़र कारनामे करने की फेहरिस्त है। ऐसा ही एक रोचक मामला सामने आया है जिसमें विक्रमपुर के सर्वे क्रमांक 217 की 5 बीघा जमीन कृषक के नाम है और उसने वहां कॉलोनी लेआउट के लिए नगर एवं ग्राम निवेश एवं नगर निगम से अनुज्ञा ले ली है। इसके बावजूद बिना अधिसूचना या योजना के जीडीए ने इनकी भूमि के दोनों ओर रोड डाल दी है, जबकि कृषक की भूमि का न तो अधिग्रहण किया गया है और न ही मुआवजा दिया गया है। और तो और इसी सर्वे क्रमांक पर पहले ही ग्वालियर गृह निर्माण और गांधी गृह निर्माण समिति को गलत ढंग से भूखंड आवंटित कर दिए गए। सोमवार को जीडीए की बोर्ड बैठक में शताब्दीपुरम योजना फेज 1 में ग्राम विक्रमपुर की सर्वे क्रमांक 217, रकवा 1.129 हेक्टेयर भूमि का मसला आया जिसमें उक्त कृषक को नए सिरे से भूमि समर्पित कराकर भूखंड आवंटित किए जाने का प्रस्ताव धरा का धरा रह गया । इसके लिए पूर्व से दो विवादास्पद संस्थाओं को आवंटित 66 भूखंड निरस्त करने का प्रस्ताव एजेंडे में रखा गया। लेकिन जांच और नए सिरे से सीमांकन कराने के नाम पर इस विषय को टाल दिया गया जिससे कृषक दोनों ओर से फंसा हुआ है कि वह कॉलोनी लेआउट पास होने पर भूखंड काटकर बेचे अथवा भूमि समर्पित कर जीडीए से विकसित भूखंड ले।
इस मामले में जीडीए का तर्क है कि प्रथम फेज के आई व जे ब्लॉक में से होकर मास्टर प्लान द्वारा निर्धारित की गई 40 मीटर रोड का निर्माण प्राधिकरण द्वारा किया गया है। इस रोड के मिलान के मध्य में ग्राम विक्रमपुर का सर्वे क्रमांक 217 रकबा 1.129 हेक्टेयर जो कृषक रसाल सिंह व अन्य भूमि स्वामी के निजी स्वत्व है। इस सर्वे नंबर में शताब्दीपुरम के फेज एक के बीचो-बीच 40 मीटर रोड डरना प्रस्तावित है लेकिन नोटिफिकेशन में भूलवश छूट गया है। इस रोड से लगे हुए स्कीम के बाहर के अन्य सर्वे नंबर भी पूर्व में लिए जा चुके हैं।रोड बनाने की दृष्टि से सर्वे क्रमांक 217 को समर्पित अथवा अधिग्रहण के माध्यम से लिया जाना अति आवश्यक है। जबकि प्राधिकरण द्वारा पहले से ही विभिन्न हितग्राहियों को भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं जो ब्लाक आई में भूखंड क्रमांक 276 ए से 276 एल एवं 277 से 280 कुल 16, ब्लॉक आई में 267 ए से 267 एल, 268 से 271, कुल 16 भूखंड, ब्लॉक जे में 220 से 227 एवं 227 ए से 227 आई तक कुल भूखंड 17, क्रमांक 204 से 210 एवं 210 एवं 210 ए कुल 17,इस प्रकार कुल 66 भूखंड दोनों ब्लॉकों में आवंटित किए गए हैं। चूंकि सर्वे क्रमांक 217 की भूमि अभी तक प्राधिकरण के पक्ष में समर्पित नहीं हुई है लेकिन भूखंड दो संस्थाओं को आवंटित कर दिए गए हैं उसे त्रुटि माना जा रहा है, जबकि संस्था के कर्ता-धर्ताओं द्वारा उक्त भूखंड काफी महंगे दामों पर बेच दिए गए हैं जिस पर नामांकन अऔर भवन अनुज्ञा दी जा चुकी है जिससे यह मामला बेहद विवादास्पद को चला है।
कृषक ने खड़ी कराई दीवार
यहां मजेदार बात यह है कि ग्राम विक्रमपुर तहसील मुरार की भूमि सर्वे क्रमांक 217 रकबा 1.29 हेक्टेयर पर रसाल सिंह पुत्र गिरवर सिंह द्वारा दीवार बनाकर सुरक्षित किया गया है। इस चारदीवारी के दोनों तरफ प्राधिकरण द्वारा आधी अधूरी सडक़ बना दी गई है। प्राधिकरण द्वारा कृषक को समझाइस देने के बाद आपसी करार से भूमि स्वामियों द्वारा प्राधिकरण को भूमि समर्पित करने पर 30 प्रतिशत विकसित भूखंड एवं अन्यत्र 26 प्रतिशत विकसित भूखंड आवंटन करने का प्रावधान है। प्राधिकरण के मूल लेआउट में परिवर्तन कर लाए गए प्रस्ताव को फिलहाल बोर्ड ने नामंजूर करते हुए नए सिरे से सीमांकन और तीन तरह की जांच कमेटियां बैठा दी गई है जबकि इस क्षेत्र की विवादास्पद भूमियों का चार बार सीमांकन पहले ही उन्ही अधिकारियों द्वारा किया जा चुका है जो आज की तारीख में वहां पदस्थ हैं। ऐसे में नए सीमांकन में कौन सी नई बात आ जाएगी यह समझ से परे है।
दो इंजीनियरों की शिकायत
कृषक की भूमि सर्वे क्रमांक 217 के दोनों ओर सडक़ निर्माण की योजना बनाने में उपयंत्री रवि गुप्ता और सत्येंद्र सिंह तोमर की भूमिका बताई गई है। यह दोनों इस तरह के विवादास्पद काम में माहिर माने जाते हैं। कृषक रसाल सिंह ने इन दोनों की शिकायत मुख्यमंत्री, नगरीय आवास मंत्री एवं संभागीय आयुक्त से की है जिसमें कहा गया है कि रवि गुप्ता और सत्येंद्र सिंह तोमर ने जानबूझकर मास्टर प्लान की सडक़ को परिवर्तित कर सर्वे क्रमांक 217 के मध्य भाग से सडक़ निकालने की योजना बना डाली जबकि उन्हें अच्छी तरह पता है कि ग्वालियर गृह निर्माण समिति एवं गांधी गृह निर्माण समिति को इस सर्वे क्रमांक के भूखंड आवंटित किए जा चुके हैं। इन दोनों इंजीनियरों द्वारा सिटी सेंटर में भी इसी तरह के कारनामे किए जा चुके हैं उनकी जांच कराकर कार्रवाई की जाना चाहिए।
इनका कहना
ग्वालियर विकास प्राधिकरण की अधिसूचना के बगैर मास्टर प्लान में परिवर्तन कर सडक़ निकाले जाने की जानकारी आपसे मिली है। इस मामले में जांच कराकर जो भी दोषी होगा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नीरज मंडलोई
प्रमुख सचिव नगरीय आवास एवं विकास विभाग
जीडीए की बोर्ड बैठक में पहले से ही आवंटित भूखंडों को निरस्त कर भूमि सर्वे क्रमांक 217 के स्वामी रसाल सिंह को भूखंड आवंटित करने के प्रस्ताव मामले को जांच में लिया गया है। इसके लिए विक्रमपुर और लक्ष्मीपुर में नए सिरे से सीमांकन होगा। साथ ही तीन तरह की जांच कमेटियां जांच करेगी, जांच उपरांत रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रदीप शर्मा
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ग्वालियर विकास प्राधिकरण