महंगा पड़ा मां सरस्वती का अपमान, पिछोर से भी खदेड़े गए प्राध्यापक डॉ. गौतम

मां सरस्वती के प्रति अभद्र टिप्पणी का वीडियो वायरल होने के बाद से हर जगह झेलना पड़ रहा है विरोध

Update: 2020-10-01 01:00 GMT

ग्वालियर/दतिया। दतिया जिले के शासकीय गोविंद महाविद्यालय सेंवढ़ा में प्राचार्य के पद पर कार्यरत रहने के दौरान पिछले साल मई माह में विद्या की देवी मां सरस्वती सहित अन्य देवी-देवताओं पर डॉ. एसएस गौतम द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी एक साल बाद भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। इस मामले में न केवल उन्हें जेल जाना पड़ा बल्कि हर जगह व्यापक विरोध भी झेलना पड़ रहा है। इसी के चलते उन्हें पहले सेंवढ़ा से भांडेर महाविद्यालय और फिर शिवपुरी जिले के शासकीय छत्रसाल महाविद्यालय पिछोर स्थानांतरित किया गया, लेकिन छात्रों के भारी विरोध को देखते हुए उन्हें पिछोर से भी खदेड़ दिया गया है। अब उन्हें कार्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा विभाग, ग्वालियर स्थानांतरित कर लूप लाइन में डाल दिया गया है।

जानकारी के अनुसार डॉ. गौतम जब सेंवढ़ा महाविद्यालय के प्राचार्य थे, तब उन्होंने 24 मई 2019 को मां सरस्वती सहित अन्य देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की थी, जिसका 26 मई 2019 को वीडियो वायरल होते ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अन्य छात्र एवं सामाजिक संगठनों ने 27 मई 2019 को सेंवढ़ा सहित संपूर्ण दतिया जिले में विरोध प्रदर्शन किया था। डॉ. गौतम के विरुद्ध जनसामान्य में पनपे व्यापक विरोध को ध्यान में रखते हुए सेंवढ़ा थाना पुलिस ने जहां मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया था वहीं उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया था। इसके कुछ दिन बाद जेल से बाहर आने के बाद जून माह में डॉ. गौतम को बहाल करने के साथ ही प्रभारी प्रचार्य के पद पर उनका स्थानांतरण शासकीय महाविद्यालय भांडेर में कर दिया था, लेकिन वहां भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अन्य छात्र संगठनों द्वारा उनका लगातार विरोध किया जा रहा था। इस पर 24 सितम्बर 2020 को संस्कृत प्राध्यापक के रूप में उनका स्थानांतरण शासकीय छत्रसाल महाविद्यालय पिछोर जिला शिवपुरी किया गया। इसके दूसरे ही दिन 25 सितम्बर को डॉ. गौतम जब ज्वाइनिंग के लिए पिछोर महाविद्यालय पहुंचे तो उनको देखते ही महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भड़क गए और हंगामा खड़ा कर दिया। इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन, महाविद्यालय छात्र संघ सहित अन्य छात्र-छात्राओं ने महाविद्यालय के प्राचार्य को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि डॉ. गौतम ने पूर्व में विद्या की देवी मां सरस्वती के बारे में अपशब्द कहे थे। साथ ही उन्होंने संगीत प्रेमी महिलाओं के प्रति भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। ऐसे व्यक्ति के रहते हुए पिछोर महाविद्यालय की पवित्र भूमि अपवित्र हो जाएगी। साथ ही शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृति वातावरण भी बिगड़ेगा। छात्रों ने प्राचार्य को यह चेतावनी भी दी कि डॉ. गौतम को यदि महाविद्यालय में ज्वाइनिंग दी गई तो इसके विरोध में छात्र-छात्राएं महाविद्यालय में तालाबंदी कर आमरण अनशन करने पर मजबूर होंगे। इस दौरान डॉ. गौतम को छात्रों की नजर बचाकर चोरी छुपे वहां से भागना पड़ा। हालांकि इसी दिन शाम को उन्होंने अपनी ज्वॉनिंग दे दी थी, लेकिन छात्रों की ओर से उनका विरोध जारी रहा। बताया गया है कि छात्र-छात्राओं के भारी विरोध को देखते हुए कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग ने दूसरे ही दिन 26 सितम्बर को एक आदेश जारी कर डॉ. गौतम को छत्रसाल महाविद्यालय पिछोर से हटाकर उनकी नई पदस्थापना फिलहाल दो माह की अवधि के लिए कार्यालय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, ग्वालियर में कर दी है। इस आदेश के पालन में उन्हें 27 सितम्बर को छत्रसाल महाविद्यालय पिछोर से कार्य मुक्त कर दिया गया।

पुलिस ने मामला दर्ज कर भेज दिया था जेल

सेंवढ़ा के शासकीय गोविंद महाविद्यालय में प्राचार्य के पद पर पदस्थ रहने के दौरान डॉ. एसएस गौतम ने 24 मई 2019 को पूर्व प्राचार्य मनोज व्यास के साथ बातचीत के दौरान मां सरस्वती सहित अन्य देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणी की थी। श्री व्यास ने इस बातचीत का वीडियो बना लिया था, जिसे उन्होंने 26 मई 2019 को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया था। इसको लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित तमाम छात्र संगठनों ने दतिया जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर डॉ. गौतम के विरुद्ध मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने और सेवा से पृथक करने की मांग की थी। साथ ही राज्यपाल, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय महिला आयोग के नाम ज्ञापन भी स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपे गए थे। इस दौरान लोगों में बढ़ते आक्रोश को देखते हुए वीडियो वायरल होने के छह दिन बाद सेंवढ़ा पुलिस ने डॉ. गौतम के विरुद्ध धारा 153 ए के तहत मामला दर्ज कर लिया था, जिसमें पूर्व प्राचार्य मनोज व्यास को भी आरोपी बनाया गया था। इसके बाद 1 जून 2019 को डॉ. गौतम को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत के लिए आवेदन पेश किया, लेकिन न्यायालय ने आवेदन खारिज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में केन्द्रीय जेल ग्वालियर भेज दिया था।

सफल हुआ 16 महीने का संघर्ष: अनुराग

दतिया। माता सरस्वती के प्रति की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का वीडियो वायरल होने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व जिला संयोजक अनुराग शर्मा के नेतृत्व में डॉ. गौतम के खिलाफ पूरे दतिया जिले में व्यापक स्तर पर लगातार आंदोलन चलाया गया। श्री शर्मा का कहना है कि देवी-देवताओं और मातृ शक्ति के प्रति अभद्र भाषा का उपयोग करने वाले डॉ. गौतम जैसे लोग समाज के लिए अभिशाप हैं। उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए अभाविप ने लगातार संघर्ष किया। अंतत: सरकार को अभाविप की मांग मानना ही पड़ी और सेंवढ़ा व भांडेर के बाद अब पिछोर से भी डॉ. गौतम का स्थानांतरण कार्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, ग्वालियर में कर दिया गया है।

इनका कहना है

उच्च शिक्षा आयुक्त ने डॉ. एसएस गौतम को क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक कार्यालय में अटैच किया है और इस संबंध के आदेश भी प्राप्त हो गए हैं। जहां तक शिकायतों की बात है तो शासन स्तर पर हुई होंगी, इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।

-डॉ. एमआर कौशल, क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा 

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