SwadeshSwadesh

ग्वालियर में क्षय रोग मुक्त के लक्ष्य को लग सकता है धक्का

Update: 2024-03-25 01:00 GMT

ग्वालियर,। केन्द्र सरकार का वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए जिला स्तर पर भी कई कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को क्षय रोग के प्रति जागरूक किया जा रहा है। साथ ही क्षय रोगियों को नि:शुल्क उपचार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन पिछले लम्बे समय से मरीजों को टीबी की दवाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है, जो मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

दरअसल जिले में क्षय रोगियों की बात करें तो इनकी संख्या 12 हजार से अधिक है। जबकि 365 मरीज ऐसे हैं, जो क्षय रोग से गम्भीर रूप से पीडि़त है। लेकिन इन दिनों क्षय रोगियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पताल और डॉट्स सेंटर में पर्याप्त मात्रा में दवाई ही नहीं है। एक डॉट्स सेंटर के अधिकारी ने बताया कि 3 दवाओं का स्टॉक खत्म हैं, जिसमें प्रमुख दवाएं ऐथामिबूटोल, प्राजीनॉमिड एवं 3 एमडीसी शामिल हैं। इसके अलावा साइक्लोसेरीन, लाइनजोलिड और क्लोफाजिमिन जैसी दवाओं का स्टाफ भी आए दिन खत्म हो जाता है। जिस कारण मरीज परेशान हैं और मजबूरन मरीजों को दवाई बाहर से खरीदने के लिए कहा जा रहा है।

क्षय अस्पताल में पहुंचते हैं 150 से अधिक मरीज

माधव डिस्पेंसरी रोड स्थित क्षय अस्पताल की बात करें तो यहां प्रतिदिन 150 से अधिक मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन यहां भी सामान्य क्षय रोगियों के अलावा मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) गम्भीर टीबी के मरीजों को भी दवाएं नहीं मिल रही हैं। हालांकि यह हाल सिर्फ एक अस्पताल का नहीं है। ज्यादातर डॉट्स सेंटर से लेकर चेस्ट क्लिनिक में एमडीआर के मरीजों को कुछ दवाएं बाहर से ही खरीदनी पड़ रही हैं।

क्या कहना है विशेषज्ञों का

विशेषज्ञों का कहना है कि क्षय रोगियों को जो दवाएं नहीं मिल रही है, वे दवाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर, दवा छूट जाती है कि तो मरीज को अपना पूरा इलाज दोबारा शुरू करना पड़ सकता है। यहां तक की मरीज की तबीयत भी खराब होने का डर बना रहता है। इसलिए इसे एक दिन भी बीच में नहीं छोडऩा चाहिए

मेरे पास इतना पैसा नहीं कि दवा ले सकूं

क्षय रोग अस्पताल में उपचार ले रहीं एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 4 महीने से अस्पताल में दवा लेने आ रहा हूं। पिछले डेढ़ महीने से मुझे कुछ दवाएं नहीं मिल रही है। मेरे पास इतना पैसा भी नहीं है कि दवा बाहर से ले सकूं। 6-7 महीने पहले मेरे पेट में पानी भर गया था और जांच में पता चला कि मुझे टीबी है। लेकिन जब भी दवा लेने अस्पताल जाती हूं, तो वहां कहते हैं कि दवा नहीं मिल रही है। लेकिन सबका यही कहना है कि दवाओं का स्टॉक खत्म है। वह खुद नहीं जानते दवा कब तक आएगी। ऐसे में हमारे पास दवा बाहर से लेने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि बाजार से दवा ले सकूं।

जांच के लिए भी परेशान

क्षय रोगी दवाओं के साथ ही जांच के लिए भी परेशान हैं। दरअसल बच्चों में क्षय रोग का पता करने के लिए मोन्टेक्स की जांच की जाती है। लेकिन जिला अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में उक्त जांच नहीं हो रही है। जिसको लेकर कई बार बच्चों के परिजनों द्वारा शिकायतें भी की गई।

सीएम हेल्पलाइन पर भी पहुंची शिकायतें

दवाएं न मिलने से परेशान कई क्षय रोगियों ने स्वास्थ्य अधिकारियों से लेकर मुख्य मंंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायतें दर्ज कराई है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि जिन दवाओं का स्टाफ खत्म हुआ है, वे दवाएं केन्द्र से आती हैं। इसलिए उनके हाथ में भी कुछ नहीं है। 

Tags:    

Similar News