ग्वालियर में बिना सुविधा शुल्क के नहीं हो रहे नामांतरण, 11149 प्रकरण लंबित

नामांतरण के लिए चुकाने पड़े 20 हजार

Update: 2023-05-28 08:45 GMT

ग्वालियर/वेबडेस्क। जमीन नामांतरण की प्रक्रिया सरल होने के बाद भी इसे सरकारी मशीनरी ने इतना जटिल बना दिया है कि बिना सुविधा शुल्क (रिश्वत) के नामांतरण नामुमकिन हो चुका है। उस पर यदि विवादित नामांतरण का केस हो तो फिर और भी मुश्किल हो जाता है। जिले में सबसे ज्यादा विवादित नामांतरण के मामले मुरार क्षेत्र के हैं। दरअसल लंबित नामांतरण, सीमांकन व बंटवारा प्रकरण का जल्द से जल्द निराकरण हो सके, इसके लिए सभागायुत से लेकर जिलाधीश आए दिन संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करते हैं, लेकिन नामांतरण के मामलों की बात करें तो जिले की स्थिति बहुत खराब है। यही कारण है कि जिले में कुल लंबित प्रकरणों की संया 11 हजार 149 है। जिसमें से कुछ प्रकरण तो दो वर्षों से लंबित है।

जिले में नामांकरण के कुल मामलों की बात करें तो विभिन्न क्षेत्रों से कुल 16614 प्रशासन के पास पहुंचे। इसमें से अभी तक सिर्फ 5465 प्रकरणों का ही निराकरण हो सका है। जबकि 11 हजार 149 प्रकरण लंबित बने हुए हैं। इस हिसाब से पूरे जिले में निराकरण का औसत सिर्फ 32 ही है। जबकि नियम अनुसार आवेदन आने के तीन माह में नामांतरण का फैसला हो जाना चाहिए, लेकिन 1800 आवेदन ऐसे हैं, जो तीन से छह माह से लंबित हंै। जिसको लेकर जिमेदारों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि अगर नामांतरण के मामलों में निराकरण समय पर नहीं किया जा रहा तो संबंधित पर कार्यवाही यों नहीं की जाती।

ऑफलाइन लिए जाते हैं आवेदन

नामांतरण के लिए लोगों को परेशान न होना पड़े, इसके लिए लोग लोक सेवा केन्द्र से भी ऑनलाइलन आवेदन कर सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन आवेदन करने वालों से ऑफलाइन आवेदन भी कराया जाता है। जिसके बाद आवेदन करने वालों को कार्यालय के कई चकर कटवाए जाते हैं।

तहसीलदार के आदेश के बाद भी नहीं हुआ नामांतरण

बिहार निवासी उत्तम सिंह पाल ने मकान बनाने के लिए मुरार में एक जमीन वर्ष 2021 में खरीदी थी। जिसके नामांतरण के लिए उन्होंने तहसील में आवेदन वर्ष 2022 में किया। उत्तम का कहना है कि नामांतरण के लिए उन्हें कई चकर कटवाए जा चुके हैं। तलसीलदार द्वारा भी पटवारी को नामांतरण के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं। उसके बाद भी पटवारी उन्हें मिलने के लिए बुला रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि जब तक पटवारी को रिश्वत न दी जाए तो नामांतरण नहीं हो सकता।

नामांतरण के लिए चुकाने पड़े 20 हजार

नाम न छापने की शर्त पर एक व्यति ने बताया कि उन्होंने अडूपुरा क्षेत्र में डेढ़ वर्ष पूर्व जमीन खरीदी थी। जिसके नामांरण के लिए उन्होंने तहसील में आवेदन किया, लेकिन सारे दस्तावेज जमा करने के बाद भी एक वर्ष तक कई चकर तहसील में लगाए। उसके बाद पटवारी व आरआई को 20 हजार रुपए देकर नामांतरण हो पाया। इस व्यति ने बताया कि उनके क्षेत्र में कई लोग नामांरण के लिए परेशान हो रहे हैं, लेकिन बिना रिश्वत दिए किसी का नामांतरण सभव नहीं है।

इनका कहना है - 

नामांतरण के लिए अगर कोई रिश्वत मांगता है तो शिकायत करें हम कार्यवाही करेंगे। नामांतरण के मामलों की प्रति सप्ताह समीक्षा की जा रही है। पुराने प्रकरणों के निराकरण के लिए 31 मई की तिथि निर्धारित की गई है। जबकि जन सेवा अभियान के तहत आने वाले मामलों को एक माह में निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। दीपक सिंह, सभागायुत

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