मोक्षदायिनी सर्वपितृ अमावस्या के इंद्रयोग में विदा होंगे पितृ देव

इस दिन शुभ इंद्र योग भी बन रहा है। सर्वपितृ अमावस्या अश्विन माह में पडऩे से इसका महत्व और बढ़ गया है

Update: 2023-10-13 16:59 GMT

ग्वालियर। मोक्षदायिनी सर्वपितृ अमावस्या इंद्रयोग में शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन 15 दिनों के लिए प्रथ्वी लोक पर आए पितृ अपने स्थान को गमन कर जाएंगे। इसी के साथ 15 दिवसीय श्राद्ध पक्ष का समापन हो जाएगा। वहीं 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार सनातन संस्कृति में सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन भी हो जाता है। अगर कोई भी किसी कारणवश तर्पण, श्रद्धा, पिंडदान करना भूल जाता है तो मोक्षदायिनी सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनके लिए किया जा सकता है।

इस दिन पवित्र नदियों, जलाशय में स्नान कर जल, तिल में जों सफेद फूल कुशा के साथ तर्पण कर पितरों को जलांजलि दी जाती है। मोक्षदायिनी अमावस्या के दिन शनिचरी अमावस्या के साथ अंतिम सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 13 अक्टूबर की रात 9:50 से अमावस्या तिथि प्रारंभ हुई है जो 14 अक्टूबर रात 11:24 बजे तक रहेगी। अमावस्या शनिवार के दिन होने से इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जाएगा। इसके साथ ही इस दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार जो सूर्य ग्रहण लग रहा है, वह रात 8:34 बजे से शुरू होगा और अगले दिन रात्रि 2:25 बजे तक रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण है जो भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। 

हवन पूजन के साथ कौवो को खिलाया दाना:-

सामाजिक सेवा सहयोग संस्था के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को कैंसर अस्पताल स्तिथ चित्रकूट धाम पर हवन पूजन कर कौवो को दाना खिलाया। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम श्रीवास्तव ने बताया कि पितृ पक्ष के समय में किए जाने वाले पुनीत कार्यों से पूर्वज प्रसन्न होते है और आशीर्वाद देते है। इसी आशय से हवन पूजन कर कौवो को दाना खिलाया गया। इस अवसर पर संजय बंसल, हेमंत शेखर, निशांत सिकरवार, सचिन धाकड़, सूरज, आसिक, अजय, कोक सिंह, आयुष पाराशर आदि उपस्थित थे। बन रहा है दुर्लभ संयोग:- ज्योतिषाचार्य हुकुमचंद जैन के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार अमावस्या के दिन शनिवार होने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जाएगा। साथ ही इस दिन वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। इस दिन शुभ इंद्र योग भी बन रहा है। सर्वपितृ अमावस्या अश्विन माह में पडऩे से इसका महत्व और बढ़ गया है।

इन शुभ संयोगों में पितरों का तर्पण कर उन्हें प्रसन्न और तृप्त किया जा सकता है। साथ ही शनि, राहु, केतु की अशुभ दशा या पितृ दोष, काल सर्प दोष से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे करें पितरों को विदा:- ज्योतिषाचार्य के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या तिथि को ही पितृ पक्ष का समापन होता है। इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। पीपल में पितरों का वास माना जाता है, इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल जरूर चढ़ाएं। इस दिन काले तिल के साथ पितरों को जल अर्पित करें, इससे घर में हमेशा पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों का तर्पण करें। माना जाता है कि जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है और जन्म कुंडली में पितृ दोष, कालसर्प योग शनि की पीड़ा से छुटकारा हमेशा के लिए मिल जाता है।

इन लोगों को इस दिन जरूर भोजन कराए:-

घर में श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए।

श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल कामना करें। इस दिन ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन जरूर करवाएं और अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर विदा करें।

इस दिन बहन, दामाद और भांजा-भांजी को भी भोजन अवश्य कराएं। माना जाता है कि उनके भोजन के बिना पितर प्रसन्न नहीं होते हैं।

भोज के बाद पितरों को धन्यवाद देना चाहिए और जाने-अनजाने हुई भूल के लिए माफी मांगनी चाहिए।   

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