450 करोड़ से बनेगा ग्वालियर एयरपोर्ट, 30 लाख लोगों को होगा लाभ

Update: 2022-10-08 06:02 GMT

ग्वालियर,न.सं.। महानगर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जीत और प्रयास किए जा रहे हैं। एक ओर जहां शहर को आधुनिक बनाने की तैयारी है, वहीं महानगर से अन्य शहरों को हवाई सेवा से जोडऩे के लिए 450 करोड़ रुपए खर्च कर एक नया एयरपोर्ट बनाया जा रहा है। फिलहाल शहर से करीब 8 शहरों के लिए विमान सेवाएं दी जा रही हैं। लेकिन यात्रियों के अभाव में आए दिन उड़ानें रद्द की जाती हैं। नया एयरपोर्ट बनने के बाद विमानतल तो बड़ा बन जाएगा और नई विमान सेवाएं भी शुरू हो जाएंगी, लेकिन शहर से अगर यात्रियों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ तो नई विमान सेवाएं भी आज की तरह फ्लॉप हो सकती हैं। वर्तमान में विमान को यात्रियों की पर्याप्त संख्या नहीं मिल पा रही है, जिसके कारण विमान कंपनियां घाटे में चल रही है और आए दिन किसी न किसी बहाने से उड़ाने रद्द कर देती हैं। सूत्रों की मानें तो वर्तमान में विमान कंपनियों का खर्चा भी नहीं निकल रहा है।

इसलिए बार-बार बंद होती हैं हवाई सेवा

दरअसल ग्वालियर की भौगोलिक स्थिति और कारोबारी पैटर्न अलग होने की वजह से हवाई सेवा शुरू किए जाने के कुछ समय बाद ही यातायात कम होने लगता है, और सेवा बंद कर दी जाती है। ग्वालियर में इस तरह के उद्योग व कारोबार हैं ही नहीं जिनका मुंबई से सीधा लिंक हो। ग्वालियर के कारोबारी लिंक ज्यादातर दिल्ली से हैं, और दिल्ली व ग्वालियर के बीच ट्रेन की पर्याप्त आवाजाही है। तेज गति की ट्रेनें ग्वालियर व दिल्ली के बीच की दूरी 4 से पांच घंटे में तय कर लेती हैं।

चंद घंटों में पहुंच जाते हैं ग्वालियर

ग्वालियर दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हैं। सडक़ मार्ग से इस दूरी को तय करने में 5-6 घंटे ही लगते हैं। इसके अलावा ग्वालियर को एजुकेशन हब माना जाता है, और इससे जुड़े लोगों का मुंबई से कोई जुड़ाव नहीं है। लिहाजा हवाई सेवा को न तो दिल्ली, और न ही मुंबई के लिए नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में यात्री मिल पाते हैं। हालांकि उद्योगपतियों व व्यवसाइयों का मानना है कि पर्याप्त हवाई सेवा नहीं होने के कारण नए उद्योग आने में बाधा आती है, इसी वजह से उद्योगों का विस्तार भी प्रभावित हो रहा है।

30 लाख लोगों के लिए कैचमेंट एरिया बना ग्वालियर

भोपाल का कैचमेंट एरिया केवल भोपाल के लिए ही है। वहीं इंदौर के आसपास के इंदौर, देवास, नागदा आदि शहरों के लोग इंदौर पहुंच जाते हैं। वहीं ग्वालियर के कैचमेंट एरिया में धौलपुर, आगरा, दतिया, झांसी, शिवपुरी, मुरैना, इटावा, भिंड के पैसेंजर भी आते हैं। यानी इन जगहों के करीब 30 से 40 लाख लोगों के लिए ग्वालियर के नजदीक होने से एयरपोर्ट कैचमेंट एरिया बन गया है।

ये हवाई सेवा यात्रियों की कमी से हुई बंद

  • -20 अगस्त 2021 को शुरु हुई थी जयपुर की हवाई सेवा
  • -16 सितम्बर 2021 से जयपुर की हवाई सेवा को बंद कर दिया गया।
  • -29 मार्च 2021 से पुणे की हवाई सेवा शुरु हुई थी। जो नवम्बर से बंद कर दी गई।
  • -4 जून से 2022 से एलायंय एयर ने हवाई सेवा को शुरु किया था, 8 सितम्बर को यात्रियों की संख्या कम होने के कारण यह हवाई सेवा भी बंद कर दी गई।

जब सिंधिया ने कहा था..

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ग्वालियर से भोपाल और जबलपुर की फ्लाइट शुरू कर दी है, जनता से अनुरोध है कि इसका अधिक से अधिक उपयोग करें। पिछले दो-तीन दिन में फ्लाइट में यात्रियों की संख्या काफी कम रही है, इसलिए घाटे में कोई कंपनी सुविधा नहीं दे सकती है। मैं नेताओं से उम्मीद करता हूं वे भोपाल जाते हैं तो फ्लाइट का उपयोग करें।

मौजूदा स्थिति में सिर्फ चार शहरों के लिए हवाई सेवा

मौजूदा स्थिति में ग्वालियर से चार शहरों के लिए हवाई सेवा है। इनमें तीन हवाई सेवा कंपनी है, जिनमें स्पाइस जेट, इंडिगो और एयर एलाइंस शामिल हैं। पहले इन शहरों की संख्या दस थी, लेकिन जयपुर और पुणे हवाई सेवा को भी कम यात्री मिलने के कारण बंद कर दिया गया। वर्तमान में इंदौर, मुंबई, दिल्ली व बैंगलोर की हवाई सेवाओं का संचालन किया जा रहा है। ग्वालियर से जाने वाली उड़ानों की नौबत यह है कि चार-चार पांच-पांच यात्री ही जाते हैं, इनसे ज्यादा तो फ्लाइट में क्रू टीम होती है।

इन शहरों की बंद हो चुकी हवाई सेवा

  • -जम्मू
  • -कोलकाता
  • -हैदराबाद
  • -अहमदाबाद
  • -भोपाल
  • विमान से जयपुर एक घंटे तो ट्रेन से 5 घंटे में पहुंचते है
  • -हवाई सेवा की बात करें तो ग्वालियर जयपुर की हवाई सेवा जब शुरु हुई थी तो 2223 रूपए के किराए में 1 घंटे में जयपुर पहुंच जाते थे।
  • -ट्रेन की बात करें तो 845 रूपए में सेंकेड एसी से पांच घंटे में जयपुर पहुंचा जा सकता है। ग्वालियर से जयपुर के लिए दो ट्रेने है, ऐसे में यात्री ट्रेन से जाना अधिक पसंद करते है। शायद यही कारण है कि जयपुर की हवाई सेवा बंद हुई।

एक वजह यह भी...

  • -विमानतल पर पहुंचे के लिए यात्रियों को डेढ़ घंटे पहले पहुंचना होता है।
  • -टर्मिनल पर पहुंचने से पहले यात्रियों को दो बार सीआईएसएफ की चैकिंग से गुजरना पड़ता है।
  • -सामान बुक करने के बाद गंतव्य पर पहुंचने पर अपने बैग के लिए यात्रियों को बैल्ट के पास खड़ा होना पड़ता है। कई बार यात्रियों के बैग काफी देर में मिलते है।
  • विमानतल पर खान-पान की सुविधा के लिए सिर्फ एक स्टॉल खुला हुआ है, जिसमें हर चीज के दाम बाजार से काफी महंगे।
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