चिकित्सकों की भर्ती नहीं कर रहा शासन, ग्वालियर में पांच डॉक्टर चला रहे न्यूरोसर्जरी विभाग

Update: 2022-09-01 05:57 GMT

ग्वालियर, न.सं.। जयारोग्य चिकित्सालय में दिन प्रतिदिन मरीजों का भार लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन चिकित्सकों की उपलब्धता पर्याप्त न होने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उसके बाद भी शासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। जिसका उदाहरण जयारोग्य का न्यूरोसर्जरी विभाग ही है, जहां वर्तमान में सिर्फ पांच ही न्यूरोसर्जन चिकित्सक ही बचे हैं।

दरअसल न्यूरोसर्जरी विभाग में डॉ. एस.एन. अयंगर व डॉ. आर.एल.एस. सेंगर के सेवानिवृत्त होने के बाद अब यहां पांच चिकित्सक बचे हैं। जबकि न्यूरोसर्जरी विभाग में प्रतिमाह भर्ती मरीजों की संख्या करीब 500 के करीब रहती है। इसी तरह ऑपरेशन की बात करें तो प्रतिदिन तीन से चार ऑपरेशन भी किए जाते हैं। ऐसे में अब पूरे न्यूरोसर्जरी विभाग की व्यवस्थाएं सिर्फ पांच चिकित्सक के भरोसे हैं। वहीं भोपाल व जबलपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों की बात करें तो न्यूरोसर्जरी विभाग में 10 से 15 विशेषज्ञ चिकित्सक तक पदस्थ हैं। चिकित्सकों का कहना है कि शासन द्वारा सामान्य पदोन्नति देकर चिकित्सकों की भर्ती की जानी चाहिए। जिससे विभाग में पहुंचने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।यह स्थिति तब है जब जयारोग्य का न्यूरोसर्जरी विभाग प्रदेश का सबसे पहला व सबसे बड़े विभाग है। उसके बाद भी शासन व प्रशासन स्तर पर विभाग की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा है न्यूरोसर्जरी विभाग को

प्रदेश के सबसे पुराने जयारोग्य चिकित्सालय के न्यूरोसर्जरी विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा भी मिला हुआ है। यहां एमसीएच की 8 सीट हैं। इस तरह यहां से हर साल 8 न्यूरोसर्जरी विशेषज्ञ चिकित्सक निकलते हैं। ऐसे में अगर महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा एमसीएच की सीटें बढ़ाने के प्रयास करता है तो चिकित्सकों के कमी के कारण सीटें नहीं बढ़ पाएंगी। 

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