ग्वालियर, न.सं.। एक हजार बिस्तर के अस्पताल की अव्यवस्थाएं जहां दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं जिम्मेदारों की अंदेखी से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। क्योंकि मरीजों को जांचों से लेकर उपचार के लिए दो परिसरों के बीच घंटों तक भटकना पड़ रहा है।
दरअसल पॉटरीज की जमीन पर नवनिर्मित एक हजार बिस्तर के अस्पताल को इस उद्देश्य से बनाया गया है कि मरीजों को बेहतर सुविधाओं के बिच उपचार नसीब हो सके। इसके अलावा नए अस्पताल में जयारोग्य के कुछ विभागों को छोड़ कर अधिकांश को शिफ्ट भी कर दिया गया है। ऐसे में जयारोग्य में संचालित न्यूरोलॉजी-न्यूरोसर्जरी, ह्दय रोग विभाग सहित अन्य विभागों में भर्ती मरीजों के परिजनों को जांच के लिए नमूना नए अस्पताल में ही लेकर जाना पड़ता है। क्योंकि जिम्मेदारों द्वारा जयारोग्य में संचालित सेन्ट्रल पैथोलॉजी को नए अस्पताल में शिफ्ट तो कर दिया गया, लेकिन जयारोग्य में किसी भी तरह का कोई कलेक्शन सेन्टर नहीं बनाया। जिस कारण मरीजों के खून का जांच नमूना परिजनों को एक हजार तक लेकर जाना पड़ता है और जांच रिपोर्ट भी नए अस्पताल में ही मिलती है।
एक घंटे भटकने के बाद जमा हो सका नमूना
झांसी निवासी बिट्टू ने अपनी मां को उपचार के लिए जयारोग्य के न्यूरोलॉजी में गत दिवस भर्ती कराया था। बिट्टू का कहना था कि सुबह जब स्टाफ ने जांच के लिए रक्त का नमूना निकाल कर पैथोलॉजी में जमा करने के लिए कहा तो पता चला कि पैथोलॉजी नए अस्पताल में है। ऐसे में वह एक घंटे तक नमूना जमा करने के लिए परेशान होते रहे। क्योंकि उन्हें यह पता ही नहीं था कि नए अस्पताल में रक्त के नमूने कहां जमा होते हैं।
एमटीए ने जयारोग्य व नए अस्पताल को जोडऩे की मांग
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन द्वारा एक हजार बिस्तर के अस्पताल और जयारोग्य परिसर को जोडऩे की मांग गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. अक्षय निगम से की है। एसेसिएशन के सचिव डॉ. मक्खन लाल माहौर ने अधिष्ठाता को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि जयारोग्य परिसर में कुछ विभाग संचालित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों व स्टॉफ को मरीजों देखने के लिए भी मुख्य मार्ग से होकर नए अस्पताल तक जाना पड़ता है। जबकि दोनों परिसरों के बीच केवल एक सडक़ का ही फासला है। इसलिए अगर रोड का कुछ हिस्सा बंद कर दे तो दोनों परिसर आसानी से एकीकृत हो सकते हैं, जिससे सभी के लिए आसानी होगी। इसके अलावा उन्होंने यह भी मांग रखी कि तत्कालिक हल के रूप में दोनों परिसरों को जोडऩे के लिए फुट ओवर ब्रिज भी बनाया जा सकता है। जिससे दूसरे परिसर में तुरन्त पैदल पहुंचने में सहायता मिलेगी। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सडक़ को बंद किए जाने के पक्ष में नहीं है। इसको लेकर उन्होंने पिछले दिनों समीक्षा बैठक में नाराजी जताते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सडक़ किसी भी हाल में बंद नहीं की जाएगी।