सडक़ से ज्यादा कम्प्यूटर-मोबाइल पर दिखेगा चुनावी रंंग

समर्थकों की फेसबुक, इंस्टा से टूटेगा आयोग का शिकंजा

Update: 2023-10-13 07:22 GMT

ग्वालियर। चुनावी मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स पर इस बार चुनाव आयोग की सीधी नजर होगी। चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक प्रत्याशियों को नामांकन का पर्चा दाखिल करते समय बताना होगा कि सोशल मीडिया पर उनके कितने एकाउंट्स हैं। ऐसा इसलिए होगा ताकि इन एकाउंट्स के जरिए पोस्ट की जाने वाली चुनावी सामग्री को चुनावी खर्चे के दायरे में लाया जा सके। उधर राजनीतिक दलों के घोषित और संभावित प्रत्याशियों ने अभी से ही अपने समर्थकों के फेसबुक, इंस्टाग्राम एक्स जैसे सोशल मीडिया एकाउंट्स के जरिये चुनाव आयोग के इस शिकंजे को तोडऩे की तैयारी कर ली है। ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव में सडक़ों से ज्यादा सोशल मीडिया पर प्रत्याशियों की बोलती तस्वीरें उन्हें जनता का सच्चा हमदर्द बातने के दावे और वादे सब कुछ समर्थकों की आईडी से पोस्ट किए जाएंगे। कुल मिलाकर प्रचार का यह बैकडोर तरीका होगा जिसे अपनाने की प्रत्याशियों की पूरी तैयारी है।

आयोग ने इसलिए कसा शिकंजा

चुनाव आयोग का मानना है कि प्रचार के पारंपरिक साधनों पर शिकंजा कसने के बाद प्रत्याशी फेसबुक , एक्स, वाट्सएप के जरिए अपना प्रचार प्रसार कर सकते हैं। इसलिए आयोग ने सोशल मीडिया पर भी नजरें गढ़ा दी हैं। आयोगन ने प्रत्याशियों से नामांकन दाखिल करते समय ही शपथ पत्र में सोशल मीडिया एकाउंट्स की जानकारी मांग ली है। आयोग के दिशा निर्देश के तहत खर्चा भी जुड़ेगा जब प्रत्याशी सीधे अपने एकाउंट से कोई पोस्ट लोड करेंगे। इस शिकंजे को तोडऩे के लिए फर्जी आईडी के जरिए प्रचार संबंधी पोस्ट को टैग किया जाएगा। इससे होगा ये कि प्रचार वाली पोस्ट या विज्ञापन प्रत्याशी की वॉल पर भी दिखेगा और आयोग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा।

इस तरह जुड़ेगा खर्चा

- प्रत्याशी अपने एकाउंट्स से कोई स्टेट्स, फोटो लोड करता है है तो खर्चा जुड़ेगा।

- अगर प्रत्याशी किसी दूसरे की पोस्ट को शेयर करता है तो भी खर्चा जुड़ेगा।

- किसी और की पोस्ट को लाइक करना या किसी के द्वारा टैग किए जाने पर आयोग के कोई निर्देश नहीं है इसी का फायदा उठाकर प्रत्याशी फर्जी आईडी या दूसरे लोगों के एकाउंट्स से प्रचार प्रसार करेंगे।

युवाओं को रिझाने सोशल मीडिया का सहारा

सोशल मीडिया पर प्रचार की कवायद युवा मतदाताओं को रिझाने के लिए की जा रही है। अंचल की हरेक विधानसभा में युवा मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है और युवा ही सर्वाधिक सोशल मीडिया पर सक्रिय है। यही वजह है कि प्रत्याशियों को मजबूरन सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया के जानकारों की तलाश

राजनीतिक दलों की आईटी विंग के साथ-साथ प्रत्याशियों ने अब ऐसे लोगों की तलाश शुरु कर दी है जो सोशल मीडिया के जानकार हैं और उस पर सक्रिय रहते हैं। सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा फॉलोअर्स रखने वालों की खासी डिमांड है। ऐसे लोगों पर राजनीतिक दल पैसा भी खर्च कर रहे हैं।

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