संकेत अच्छे, सावधानी जरूरी, मरीजों की संख्या घटी -
तीन महीने बाद पहली बार सबसे कम 17 मरीज मिले
ग्वालियर,न.सं.। शुक्र है कोरोना शिथिल पड़ गया है। राहतभरी खबर है कि करीब तीन महीने बाद सोमवार को सबसे कम 17 नए मरीज ही संक्रमित आए हैं। इससे पहले जुलाई में सबसे कम 15 मरीज सामने आए थे। इसके बाद संक्रमितों मरीजों की संख्या लगातार बढ़ गई और सितंबर माह में एक दिन में 250 से अधिक मरीज निकले थे। चिंताजनक स्थिति तक पहुंच चुके कोरोना वायरस के आंकड़ों को देखकर चारों तरफ हाहाकार मच गया था लेकिन अक्टूबर माह में यह वायरस धीरे-धीरे शांत होता दिखा।
सोमवार को गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के वायरोलॉजिकल लैब, जयारोग्य के एंटीजन, जिला अस्पताल के एंटीजन टेस्ट और निजी में नमूनों की जांच की गई। जांच में 17 मरीज नए सामने आए हैं। जीआरएमसी की वायरोलॉजिकल लैब की जांच में 6, जेएएच के एंटीजन टेस्ट में 2, जिला अस्पताल के एंटीजन टेस्ट में 4 तथा प्राइवेट लैब की जांच में 5 मरीज को कोरोना होने की पुष्टि हुई है। उधर रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात को किलागेट स्थित नयागंज निवासी 75 वर्षीय रमेश चंद्र जैन ने दम तोड़ दिया। उन्हे चार अक्टूबर की रात कोरोना होने के चलते निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां उनकी रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात इलाज के दौरान मौत हो गई। जिले में कोरोना से मरने वालों की संख्या 220 पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग यह अनुमान लगा रहा है कि कोरोना का अंत अक्टूबर के अंतिम दिनों में हो सकता है, लेकिन यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि इसका दूसरा फेज शुरू हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह बहुत ही गंभीर और चुनौतिपूर्ण होगा।
चार महीने ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत
ठंड का मौसम शुरू होने को है लेकिन इस साल ठंड का मौसम चिंताएं लेकर आ रहा है। दरअसल कोरोना काल वाले इस ठंड के मौसम में कोरोना वायरस के फैलाव का खतरा बढ़ गया है। कोरोना वायरस जब देश में पहली बार रिपोर्ट किया गया तब प्रचंड गर्मी पड़ रही थी। इसके बावजूद इसके फैलाव में कोई कमी नहीं आई लेकिन अब जबकि ठंड का मौसम आ रहा है तो इसके संक्रमण की गति में 5 से 7 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना है क आने वाले चार-महीनों तक खास ऐहतियात के साथ ही हमें आगे बढऩा होगा।
सर्दियों में सांस के मरीज सतर्क रहें
-सर्दी - इससे बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं कर पाते। अस्थमा के मरीजों को सर्दियों में परेशानी काफी बढ़ जाती है। दिल के रोगों का खतरा भी ज्यादा रहता है।
-प्रदूषण - इसका स्तर सर्दी में काफी बढ़ जाता है, इसलिए मरीजों की संख्या में भी इजाफा होता है। हर साल अक्टूबर और नवम्बर में अस्थमा और कार्डियक समस्या बढऩे का यह भी एक कारण है।
- कोरोना- यह वायरस सीधे फेफड़ों पर अटैक कर रहा है। कोरोनावायरस अस्थमा और कार्डियक मरीजों को गंभीर हालात में ले जा रहा है। यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।