ग्वालियर के नए कलेक्टर: नई लकीर खींचने की चुनौती, लो प्रोफाइल रहकर काम करते है अक्षय कुमार सिंह

Update: 2023-02-01 08:00 GMT

ग्वालियर/वेबडेस्क। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए कलेक्टर का पद सर्वाधिक प्रतिष्ठित औऱ एक तरह से पूरी सेवा का उत्कर्ष काल माना जाता है।यह किसी भी अधिकारी के उस कौशल का परीक्षण प्लेटफार्म भी होता है जिसके अतिरेकी वैशिष्ट्य के चलते ही किसी युवा प्रतियोगी छात्र को इसके लिए चुना जाता है।

कलेक्टर सही मायनों में भारतीय ब्यूरोक्रेसी के जनोन्मुखी मूल्यांकन का माध्यम भी होते हैं।मप्र जैसे राज्यों में इंदौर के बाद ग्वालियर में कलेक्टर की कुर्सी सर्वाधिक चुनौतीभरी औऱ प्रतिष्ठापूर्ण मानी जाती है।इस लिहाज से 2010 संवर्ग के आईएएस अक्षय कुमार सिंह की पदस्थापना के महत्व को आसानी से समझा जा सकता है।गौर करने वाली बात यह है कि अक्षय कुमार सिंह 2003 के बाद दूसरे ऐसे अधिकारी होंगे जो राज्य प्रशासनिक सेवा से पदोन्नत होने वाले आईएएस हैं।इससे पहले इस कुर्सी पर आकाश त्रिपाठी,डॉ संजय गोयल,पी नरहरि जैसे आईएएस पदस्थ रह चुके है जिनकी गिनती प्रदेश के बड़े काबिल अफसरों में होती है।साथ ही अनुराग चौधरी,भरत यादव के अलावा कौशलेंद्र विक्रम सिंह भी सीधी भर्ती के बेहतरीन अफसरों में शुमार है।जाहिर है नए कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह के सामने अपने पूर्ववर्ती कलेक्टरों से बड़ी नही तो समानांतर लकीर खींचने की चुनौती तो सदैव ही सामने रहेगी।

निवाड़ी औऱ शिवपुरी में उनके कलेक्टर के कार्यकाल के आधार पर कहा जा सकता है कि वे ग्वालियर में नई औऱ बड़ी लकीर खींचने में सफल हो सकते हैं।इस देश मे आईएएस होना ही एक ऊंचे औऱ पृथक अहसास को जन्म देता है लेकिन शिवपुरी के अनुभव से यह कहा जा सकता है कि अक्षय कुमार सिंह ग्वालियर में अपने उसी लो प्रोफ़ाइल कलेक्टर मोड़ को आगे बढ़ाने का काम करेंगे जो उन्हें अपनी ही आईएएस बिरादरी से थोड़ा नही बहुत अधिक अलग बनाता है।वह ब्यूरोक्रेसी की स्टील फ्रेम छवि औऱ आवरण से खुद को बचाकर रखने में अभी तक सफल रहे है।

ग्वालियर जैसे राजनीतिक रूप से सर्वाधिक ताकतवर जिले में उनकी यही लो प्रोफ़ाइल औऱ जन संवाद की आदत उन्हें एक सफल कलेक्टर के रूप में स्थापित कर सकती है।सदैव कलेक्टर के भारी भरकम लबादे को उतारकर चलने वाले अक्षय सिंह लोकसंपर्क के साथ साथ राजनीतिक नेतृत्व को समयानुकूल भापकर साधने में सिद्धहस्त है।वह प्रशासक के रूप वज्र की तरह कठोर औऱ मुलायम दोनों की युति बनाकर चलते हैं।आशा है ग्वालियर की बहूकोणीय औऱ अंतर्विरोधों से भरी राजनीतिक ताकतों को वह अपने चातुर्य से साधकर नए ग्वालियर की उड़ान में एक बेहतर और ईमानदार प्रशासक के रूप में अपनी भूमिका के साथ न्याय कर सकेंगे।

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