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कौन बताएगा बाघों की मौत कैसे हुई ?

Update: 2019-03-11 14:48 GMT

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब

मध्य स्वदेश संवाददाता  भोपाल

प्रदेश के गुजरात पहुंचे बाघ की मौत के मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने हस्तक्षेप किया है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने गुजरात सरकार के वन विभाग के अधिकारियों का पत्र लिखा है कि बीते दिनों हुई बाघ की मौत का कारण स्पष्ट किया जाए। गुजरात सरकार से पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मांगी है। इससे पहले भी प्रदेश सरकार के वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ) यू. प्रकाशन ने गुजरात सरकार से बाघ की मौत के कारण के संबंध में जानकारी मांगी थी। मगर गुजरात सरकार की ओर से किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई है।

मध्यप्रदेश से नर्मदा नदी के तटीय इलाकों से नई टेरेटरी की तलाश में गए बाघ को गुजरात सरकार सहेज पाने में विफल साबित हुई थी। अब वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मांगी गईं जानकारियों को देने में आनाकानी कर रहा था। इस मामले में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने जवाब तलब किया है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने गुजरात सरकार को पत्र लिखते हुए बीते दिनों हुए मध्यप्रदेश के बाघ के मौत के मामले में डेथ आफ कॉज बताने के लिए कहा है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश सरकार को भी जानकारी देने के लिए कहा था।

बता दें कि राजधानी के रातापानी के जंगलों से 300 किमी का सफर तय कर पहुंचे बाघ की गुजरात में मौत हो गई थी। मध्यप्रदेश के बाघ का शव महिसागर जिले के जंगल से बरामद हुआ है। गुजरात वन विभाग ने बाघ का पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। बाघ की मौत से पहले भी मध्यप्रदेश वन विभाग के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने गुजरात सरकार को पत्र लिखा था और गुजरात के वन विभाग के अधिकारियों से मांग की थी कि बाघ की बेहतर देखभाल की जाए। इसके साथ ही सुरक्षा के मापदंड की जानकारी भी दी जाए, लेकिन गुजरात सरकार की ओर से सुरक्षा संबंधी कोई जानकारी नहीं भेजी गई है। हालांकि गुजरात सरकार ने जानकारी देते हुए बताया था कि बाघ के नाखून, जबड़े के 2 दांत और सभी अंग सलामत पाए गए। इससे यह तय हुआ कि बाघ का किसी ने शिकार नहीं किया था। बल्कि, मरने के बाद उसका 80 प्रतिशत शरीर क्षय हो चुका था। वहीं उसकी मौत की वजहों को जानने के लिए कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ का अंदाजा यह है कि बाघ की मौत खेतों में पड़े रसायन की वजह से हुई हो। क्योंकि, महिसागर जिले में किसान अपने खेतों में पेस्ट्रीसाइड बहुत डालते हैं, जिसे सुअरों ने खाया और फिर मरे हुए सुअरों को बाघ ने निशाना बनाया हो। तब वह मरा हो। वहीं, कुछ वनकर्मियों का कहना है कि बाघ की मौत सर्प के काटने की वजह से हुई होगी।

दावा- जहर से हुई मौत

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन विभाग की ओर से गुजरात सरकार के कुछ अधिकारियों से जानकारी मांगी गई। उन्होंने साफ तौर पर कुछ नहीं कहा, मगर उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश से गुजरात पहुंचने के बाद बाघ ने ग्रामीण इलाके में घुसकर एक गाय का शिकार किया था। उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि बाघ को जहर देकर भी मारा जा सकता है। गाय के शिकार के बाद ग्रामीणों में रोष था। बाघ की मौत के बाद कई संदिग्धों से पूछताछ भी गई थी।

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