अब विपक्ष के पास पराजय स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं : प्रधानमंत्री मोदी
कहा, तीसरे चरण के मतदान के बाद लटक गया चेहरा, विरोधियों ने मान लिया फिर एक बार राजग सरकार
लोहरदगा (झारखंड)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश में तीन चरणों के चुनाव में 300 सीटों पर वोट पड़ने के बाद अब विरोधियों के पास खुले में पराजय स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। प्रधानमंत्री ने यह बात बुधवार को स्थानीय बीएस कॉलेज के मैदान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार सुदर्शन भगत के समर्थन में आयोजित जनसभा में कही।
उन्होंने कहा, दूसरे चरण के चुनाव के बाद विपक्षियों को पराजय का आभास हो गया था, लेकिन मुंह पर हंसी लाकर इसे ढंकने का प्रयास कर रहे थे। तीसरे चरण के चुनाव के बाद उनका चेहरा लटक गया है। विरोधियों ने मान लिया है कि फिर एक बार राजग सरकार। तीसरे चरण का चुनाव होने के बाद मोदी को गाली देने वाले थक गए हैं और अपने गुस्से की तोप का मुंह मोड़ दिया है और ईवीएम को गाली देनी शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने अपनी नाकामी और पराजय का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की तैयारी कर ली है। चतुर बच्चा जब स्कूल से परीक्षा देकर घर लौटता है और उसे लगता है कि उसने अच्छा उत्तर नहीं दिया, तो वह तरह-तरह के बहाने बनाता है और अपने मां बाप से कहता है कि उन्हें पानी नहीं मिला, पेन ठीक नहीं था, प्रश्नपत्र समय पर नहीं मिला। इस कारण परीक्षा खराब हो गई और मां- बाप भी परिणाम आने के बाद बेटे की बात मान लेते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, वोट डालने वाली जनता जब चौकीदार पर आर्शीवाद बरसा रही है, तो ईवीएम मशीन को भी विपक्षियों से गाली खानी पड़ रही है। जनता ने महामिलावटी को अपना वोट नहीं देने का निर्णय लेकर अपना वोट बेकार नहीं जाने देने का फैसला कर लिया है। मिलीजुली सरकार में प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे लोग ज्यादा उछल कूद कर रहे हैं और जो अपना विधानसभा का चुनाव भी बचाने की ताकत नहीं रख रहे हैं, वह भी गालियां दे रहे हैं।
उन्होंने देश के विकास के लिए वोट देने का आह्वान करते हुए कहा कि आपने 2014 में दिल्ली में मजबूत सरकार बनाई थी और इस सरकार ने नक्सलवाद और माओवाद पर काबू पाने का काम किया है। झारखंड में दिन ढलने के बाद लोग अपने घर से डर से निकलते नहीं थे, लेकिन राजग की सरकार में स्थितियां बदल रही हैं। राजग सरकार के कार्यकाल में नक्सल प्रभावित जिलों में शांति आई है। आदिवासी नौजवानों में विश्वास जगा है और वह हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में तेजी से जुड़ रहे हैं। दिल्ली में बैठे लोग जो ज्ञान बांटते हैं, वे गांवों में हो रहे इस परिवर्तन को देखना नहीं चाहते हैं।