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यह प्रदेश करेंगे भाजपा का भविष्य तय

Update: 2019-03-12 03:47 GMT

नई दिल्ली। भाजपा बीते तीन दशक में अकेले दम पर लोकसभा में बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बनी थी। 2019 में क्या क्या पार्टी अपना पुराना प्रदर्शन दोहरा पाएगी? 'फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (एफपीटीपी)' चुनाव प्रणाली में कुछ भी कहना मुश्किल है। हालांकि नौ बड़े राज्यों में उसका प्रदर्शन मायने रखेगा। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान शामिल हैं।

आधी से ज्यादा सीटें इन्हीं राज्यों में : लोकसभा की 543 सीटों में से आधी से ज्यादा (278 सीटें) इन्हीं राज्यों में आती हैं। भाजपा के लिए ये राज्य कितने अहम हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1989 से लेकर 2014 तक हुए सभी लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली कम से कम 70 फीसदी सीटें इन्हीं राज्यों की थीं।

2014 में तो उसे प्राप्त कुल 282 लोकसभा सीटों में इन राज्यों की हिस्सेदारी 80 फीसदी के करीब पहुंच गई थी। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में शानदार प्रदर्शन की बदौलत ही भाजपा केंद्र में अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगी। इन्हीं राज्यों के पास केंद्र में अगली सरकार बनाने की चाबी है।

इतनी भी आसान नहीं सत्ता की राह : हालांकि आंकड़े दर्शाते हैं कि 2019 में इन राज्यों में भाजपा की राह आसान नहीं रहने वाली है। महाराष्ट्र को छोड़ दें तो बाकी सभी राज्यों में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के वोट प्रतिशत में गिरावट आई है।

- फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट' एक चुनाव प्रणाली है, जिसमें किसी सीट पर सबसे ज्यादा वोट पाने वाले प्रत्याशी को वहां से विजेता घोषित कर दिया जाता है.

- एफपीटीपी के तहत संभव है किसी राज्य में या फिर राष्ट्रीय स्तर पर समान संख्या में वोट हासिल करने वाले दलों के सीटों का आंकड़ा जुदा हो.

- मिसाल के तौर पर पूर्व के चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2014 के भाजपा के वोट प्रतिशत से ज्यादा था, बावजूद इसके वह अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी.

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