महापौर-विहीन नगर निगम ग्वालियर का इतना बुरा हाल, कि अब...
ओडीएफ और स्वच्छता सर्वेक्षण बना चुनौती, अधिकारियों की उदासीनता उजागर
टीम और पूरे संसाधन झौंकने के बाद भी शहर में हर तरफ कचरा ही कचरा
ग्वालियर,न.सं.। ग्वालियर महानगर को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) में शामिल कराने के लिए जिस तरह से राजनैतिक दल और प्रशासनिक अधिकारी पूरी तन्मयता के साथ जुटकर काम में लगे हुए थे। इसी तरह स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने के लिए कड़ी मेहनत की गई थी। किंतु पिछले एक साल में यहां के प्रशासनिक अधिकारी चुनिंदा नेताओं की जी हुजूरी एवं मंत्री विधायकों को खुश करने के चक्कर में शहर की वाट लगाकर रख दी है। इसी का परिणाम है कि हमसे ओडीएफ का तमगा छिन गया। वहीं स्वच्छता में फिलहाल 13वें नम्बर पर है। वहीं दुबारा ओडीएफ के सर्वे के लिए निगमायुक्त संदीप माकिन आए दिन दिल्ली के चक्कर काट रहे है, ताकि सर्वे टीम एक बार फिर ग्वालियर आकर भ्रमण कर लें। किंतु दिल्ली में बैठे अधिकारियों को यहां से पल-पल की जानकारी और फुटेज मिल रहे है। जिससे यह कम ही संभावना है कि ग्वालियर ओडीएफ में सफल हो पाए। स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है। हालात यह है कि अब तक रात में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जा सका है। जबकि पिछले साल इन दिनों में रात को पांच से सात घंटे सफाईकर्मी शहर की सफाई में जुट गए थे। सफाई व्यवस्था देखने के लिए स्वदेश टीम गुरूवार रात 8.30 बजे से 11 बजे तक शहर की अलग-अलग सडक़ों पर निकली। हालात यह थे कि कहीं पर भी सफाईकर्मी नहीं दिखे। इसको लेकर निगम के जिम्मेदारों का अलग-अलग मत हैं। उधर ईकोग्रीन कंपनी की गाडिय़ां अभी भी कई क्षेत्रों में नहीं पहुंच रही है। जिसके चलते शहरवासी सडक़ पर कचरा फैंकने को मजबूर है।
क्षेत्र में जाना नहीं चाहते अधिकारी
महापौर विहीन नगर निगम का इतना बुरा हाल है, कि अब नगर निगम के अधिकारी क्षेत्र में जाना ही नहीं चाहते है। निगमायुक्त के आदेशों को अब अधिकारी सिर्फ कार्यालय से बैठकर ही चला रहे है। उधर निगमायुक्त भी कुछ दिनों तक शहर में सुबह के समय भ्रमण करते नजर आए, लेकिन ओडीएफ का दर्जा छिनने के बाद उनकी उदासीनता की रिपोर्ट भोपाल तक जा पहुंची है। क्योंकि उनकी कार्यशैली सिर्फ चुनिंदा ठेकेदारों के साथ गपशप करने की उजागर हुई है।
भोपाल तक पहुंच रही शिकायत
निगमायुक्त संदीप माकिन की कार्यशैली पूरी तरह राजनीतिक रुप लेती जा रही है। वह कुछ नेताओं के साथ इशारे पर मनमर्जी के काम कर रहे है। जिससे सरकार की बदनामी हो रही है। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच चुकी है। समझा जाता है कि निगम के हालत देखते हुए पूर्व निगमायुक्त अनय द्विवेदी की ग्वालियर वापसी हो सकती है।
जनवरी में होना है स्वच्छता सर्वेक्षण का सर्वे
स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए ग्वालियर में केन्द्रीय टीम द्वारा सर्वे का काम जनवरी में होने वाला है, जिसमें केन्द्रीय जांच दल द्वारा 1500 सर्वेक्षण, 1500 फीडबैक व 1500 अंक फील्ड आब्र्जवेशन के रहेंगे।
इनका कहना है
शहर में गंदगी और खुले में शौच के कारण हम एक बार फिर सर्वे में पिछड़ गए है। जो चिंता का विषय है, प्रशासनिक अधिकारियों को जल्द से जल्द स्वच्छता में आगे आने के लिए कड़ी मेहनत करना होगी।- अति सुंदर सिंह, अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता
हम विशेष प्रयासों के बाद स्वच्छता सर्वेक्षण में 13वें नम्बर पर आए है। जहां तक ओडीएफ की बात है, तो इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं बोलूंगा।- प्रद्युमन सिंह तोमर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री
ओडीएफ का दर्जा जब मिलेगा, जब शहर से सीवर समस्या खत्म होगी। नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत से जंगलों में अमृत योजना के तहत सीवर लाइन डाली जा रही है। जब तक शहर से सीवर समस्या खत्म नहीं होगी, तब तक ओडीएफ शहर मुक्त नहीं होगा।- बृजेश गुप्ता, पार्षद
ओडीएफ के लिए नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं दिखे। अधिकाारियों का फोकस सिर्फ कागजों में रहा। जिसके चलते शहर ओडीएफ मुक्त नहीं हो पाया। दो वर्ष पहले अधिकारी क्षेत्रों में जाते थे, लेकिन अब अधिकारी चाय पीकर अपनी खानापूर्ति कर रहे है।- धर्मेन्द्र राणा, पार्षद