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पंजाब में तीसरे विकल्प की कवायद शुरू

दिल्ली चुनाव बाद ढ़ींडसा दिल्ली व उत्तर प्रदेश में बढ़ाएंगे अपनी ताकत

Update: 2020-02-05 15:39 GMT

नाराज नेता दिल्ली आवास पर पहुंच रहे हैं ढ़ींडसा से मिलने

नई दिल्ली/वेब डेस्क। शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढ़ींडसा और उनके बेटे परमिंदर सिंह ढ़ींडसा का पार्टी से रिश्ता अब समाप्ति की ओर है। सुलह की सारी कोशिशें नकाम होने के बाद अब यह तय हो चुका है कि ढ़ींडसा अलग राह तलाशेंगे। माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव के फौरन बाद ढ़ींडसा अपने पत्ते खोलेंगे। पिता-पुत्र अभी दिल्ली चुनाव के नतीजों पर दृष्टि लगाए हुए हैं। देखना यह है कि दिल्ली में सिखों का वोट भाजपा या आप पार्टी में से किस के साथ जाता है? दिल्ली नतीजों के बाद पंजाब और दिल्ली में शिअद के नए समीकरण बनेंगे। दिल्ली में सिख मतों के बंटवारे को रोकने के लिए शिअद ने भाजपा का समर्थन करने का निर्णय लिया है। सोमवार को संगरूर में हुई शिरोमणि अकाली दल की रैली में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल ने ढ़ींडसा को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें जिस तरह से पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया उससे बादल और ढ़ींडसा के मधुर संबंधों में और खटास बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बाद सुखदेव सिंह ढ़ींडसा पार्टी में वरिष्ठ नेता हैं। लोकप्रियता में बादल-सुखबीर सिंह की जोड़ी पर ढ़ींडसा कहीं अधिक भारी पड़ रहे हैं।

2017 के चुनाव में दस साल से लगातार सत्ता में रहने के बाद शिअद-भाजपा गठबंधन को बुरी तरह हार मिली। बेरोजगारी, किसान संकट, श्रीगुरूग्रंथ साहब के बेअदबी का मामला और ड्रग्स जैसी समस्याओं को लेकर सत्तारूढ़ इतनी बुरी तरह से घिरा कि उसके पास विपक्ष के आरोपों का जवाब नहीं था। आम आदमी पार्टी ने ऐसे माहौल में विकल्प बनने की कोशिश की जरूर पर उसकी कोशिश रंग नहीं लाई। पंजाब में आप की हालत इस समय ठीक नहीं है। वहां उसका संगठन तार-तार हुआ पड़ा है। उसके कई वरिष्ठ नेता या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या नाराज चल रहे हैं। शिअद-भाजपा गठबंधन भी उठ नहीं पा रहा है। कांग्रेस से लगाई गईं उम्मीदें भी धूल-धूसरित हो गईं हैं। अब ऐसे में फिर से तीसरे विकल्प की आवाजें उठने लगीं हैं। इन कोशिशों में जुटे नेताओं का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू, लोक इंसाफ पार्टी के बैंस बंधु, अकाली दल टकसाली के बीर द वदर और रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा सरीखे नेता अन्य नेताओं को एकजुट करने के लिए काम करें।

उठ रहीं हैं आवाजें

ढ़ींडसा पिता-पुत्र के शिअद से अलग होने के बाद अकाली दल के ज्यादातर नेता चाहते हैं कि ढ़ींडसा तीसरे विकल्प को दिशा देने के लिए आगे आएं। संसद में बजट सत्र के चलते ढ़ींडसा इस समय दिल्ली में हैं। उनसे मिलने के लिए बुधवार को शिअद दिल्ली के कई असरदार नेताओं ने पंत मार्ग स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के एक कद्दावर नेता ने भी ढ़ींडसा के आवास पहुंचकर इस संबंध में विस्तार से बातचीत की है। सूत्रों के मुताबिक ढ़ींडसा ने प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए इस मुलाकाती नेता से कमर कसने को कहा है। माना जा रहा है कि दिल्ली चुनावी नतीजों के फौरन बाद उत्तर प्रदेश इकाई में भारी फेरबदल हो। उत्तर प्रदेश में शिअद का फैलाव हालांकि अभी उतने व्यापक स्तर पर नहीं है लेकिन गठबंधन के बढ़ते विकल्पों के बीच राज्य के नेता अब विस्तार की रणनीति को अहमियत दे रहे हैं। 

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