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मोदी के लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें शुरू

Update: 2018-09-13 08:06 GMT

नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किन दो संसदीय क्षेत्रों से लड़ेंगे, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा है। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में उ.प्र. के वाराणसी और गुजरात के वडोदरा संसदीय सीटों से लड़े थे। दोनों पर जीते थे। लेकिन वडोदरा से इस्तीफा दे दिया और वाराणसी के सांसद हैं। वह आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लगातार उ.प्र. व वाराणसी का दौरा कर रहे हैं। उनके अलावा भाजपा प्रमुख अमित शाह भी उ.प्र. दौरा कर रहे हैं। एक तरह से उ.प्र. का जिम्मा अपने ऊपर लिए हुए हैं, क्योंकि उ.प्र. प्रभारी ओम माथुर बीते डेढ़ वर्ष से तो उ.प्र. में कुछ कर ही नहीं रहे हैं। इसके बावजूद कागजों पर प्रभारी पद पर उन्हीं का नाम चल रहा है। लेकिन भूपेन्द्र यादव जो राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं, भाजपा महासचिव हैं और बिहार के प्रभारी हैं, को अमित शाह उ.प्र. के अपने दौरे में साथ रख रहे हैं। इससे यह संदेश गया है कि भूपेन्द्र को अपने साथ इसलिए रख रहे हैं ताकि उ.प्र. के यादव मतदाता भाजपा की तरफ आयें। इस बारे में एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि मुलायम व अखिलेश यादव के सामने उ.प्र. में भूपेन्द्र यादव की हैसियत कुछ भी नहीं है| इसलिए यहां के यादव मतदाता तो उनके कारण भाजपा की तरफ नहीं आने वाले हैं। लेकिन मोदी व शाह जिस तरह से देश के सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उ.प्र. पर अपना ध्यान केन्द्रीत किये हुए हैं उससे स्पष्ट है कि मोदी वाराणसी संसदीय सीट से 2019 में भी लोक सभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी का जन्म दिन 17 सितम्बर को पड़ता है| वह इस बार अपना जन्मदिन वाराणसी में मनायेंगे। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। वहां 17 सितम्बर को वह बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन पूजन करेंगे, बाबतपुर हवाई अड्डा से शिवपुर तक के चार लेन वाली सड़क व बीएचयू तथा अन्य जगह कई परियोजनाओं को लांच करेंगे। इससे भी लगता है कि मोदी वाराणसी संसदीय सीट छोड़ेंगे नहीं। वह 2019 में भी यहीं से चुनाव लड़ेंगे।

लेकिन केवल यहीं से नहीं लड़ेंगे, क्योंकि यदि विपक्षी दलों ने एकजुट होकर मोदी के विरूद्ध केवल एक प्रत्याशी खड़ा कर दिया तब उनके (मोदी) वोट, 2014 में मिले वोट से कम हो सकते हैं| राहुल गांधी ने 08 अप्रैल 2018 को कहा ही था कि यदि विपक्ष एकजुट होकर लड़े तो मोदी वाराणसी से चुनाव हार सकते हैं।

कहा जा रहा है कि इसीलिए मोदी ने गुजरात के वडोदरा संसदीय सीट को भी अपने लिए रखा है। उस सीट के लिए गुजरात भाजपा में अभी तक किसी के नाम की चर्चा नहीं है। इसके कारण गुजरात भाजपा के लोग कह रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी 2019 में भी यहां से चुनाव लड़ेंगे। भले ही जीतने के बाद इस्तीफा दे दें। इस बारे में भाजपा सांसद लाल सिंह बड़ोदिया का कहना है कि नरेन्द्र मोदी वडोदरा से तो जीत ही जायेंगे।

उधर ओडिशा की पुरी संसदीय क्षेत्र से भी मोदी के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के समर्थकों का कहना है कि मोदी यदि पुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं तो उसका असर राज्य की लोकसभा सीटों पर तो पड़ेगा ही, लोकसभा के साथ राज्य विधानसभा के होने वाले चुनाव पर भी पड़ेगा। इससे भाजपा की सीटें बढ़ सकती हैं। इसलिए मोदी को पुरी से चुनाव लड़ना चाहिए। वैसे भी काशी की तरह पुरी भी धार्मिक नगरी है। यह भगवान जगन्नाथ की नगरी है। इस तरह तीनों जगह से चुनाव लड़ने की चर्चा है। देखिए मोदी कहां-कहां से लड़ते हैं।  

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