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अयोध्या केस की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज ने मांगी पुलिस सुरक्षा

Update: 2019-08-23 06:00 GMT

नई दिल्ली। अयोध्या विवादित ढांचा ढहाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर चल रहे केस की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज एसके यादव ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिख कर पुलिस सुरक्षा की मांग की है। पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ रोहिंग्टन ने कहा कि जज की मांग जायज है। उत्तर प्रदेश सरकार इस संदर्भ में अपना जवाब दायर करें।

सुनवाई के दौरान उप्र सरकार ने जज एसके यादव का कार्यकाल बढ़ाने के लिए दो सप्ताह के अतिरिक्त समय की मांग की, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उप्र सरकार को दो सप्ताह की अतिरिक्त मोहलत दी।

पिछले 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने जज एसके यादव को निर्देश दिया था कि वो नौ महीने के भीतर फैसला करें। कोर्ट ने कहा था कि वे इस मामले में फैसला सुनाने तक अपने पद पर बने रहेंगे। कोर्ट ने कहा था कि जज एसके यादव अपने रिटायरमेंट के तय समय के बाद भी केस की सुनवाई करेंगे।

कोर्ट ने जज एसके यादव को निर्देश दिया था कि वे साक्ष्यों और गवाहों के बयान दर्ज कराने में तेजी लाएं। कोर्ट ने कहा था कि पक्षकारों की मौखिक दलीलें सुनने के लिए कम समय दें और उनसे लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दें। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि जज महोदय का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।

पिछले 15 जुलाई को जज एसके यादव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मुकदमा निपटाने में छह महीने और लगेंगे। वे 30 सितंबर को रिटायर होने वाले हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम चाहते हैं, जज फैसला सुना कर रिटायर हों। उसके बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम धारा 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल,2017 को सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के विवादित ढांचा गिराने के मामले में सीबीआई को सभी 14 आरोपितों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के आपराधिक साजिश रचने की धाराओं को हटाने के आदेश को निरस्त करते हुए आपराधिक साजिश रचने की धाराओं को फिर से लगाने की अनुमति दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ रायबरेली की कोर्ट में चल रहे सभी मामले लखनऊ ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में जिस सीबीआई कोर्ट का गठन किया था, उसके जज एसके यादव हैं। 

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