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उप्र की सभी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के लड़ने की तैयारी से सपा परेशान

Update: 2019-02-24 05:13 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस के मुस्लिम मतों तथा यादव वोटों की बदौलत खड़ी हुई समाजवादी पार्टी को अब अपना मुस्लिम एवं यादव वोट खतरे में पड़ता दिखने लगने लगा है। क्योंकि केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा-नीत एनडीए के विरुद्ध कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आक्रामक तेवर और प्रियंका गांधी के राजनीति में आने , पूर्वी उत्तप्रदेश की जिम्मेदारी संभालने से जो माहौल बना है, उसके चलते मुस्लिम अब कांग्रेस की तरफ रुख कर सकते हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट दिया। बसपा या सपा की तरफ नहीं गए। इस सबसे चिंतित सपा को लगने लगा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने यदि कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर राज्य की सभी 80 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी खड़ा कर दिया, तब बसपा से भी अधिक नुकसान सपा को होगा। क्योंकि भाजपा ने सपा के यादव वोटबैंक में सेंध लगा दिया है और अब कांग्रेस मुस्लिम वोट अपनी तरफ खींचने लगी है। कांग्रेस ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के विरोधी चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से गठबंधन का संकेत दिया है। शिवपाल इसके लिए कई बार कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को फोन कर चुके हैं। यह होने पर सपा के आधे यादव वोट शिवपाल की पार्टी को मिल सकते हैं। सपा के परंपरागत वोटरों के इस तरह से बिखरने की संभावना से परेशान सपा नेता प्रो. रामगोपाल यादव ने राहुल गांधी की संसदीय सीट अमेठी और सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर भी प्रत्याशी खड़ा करने की धमकी दी है, जो कि सौहार्द्रवश कांग्रेस के लिए छोड़ रखी है। उनकी इस धमकी से बेपरवाह कांग्रेस राज्य की सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़ी करने की तैयारी कर रही है।

सूत्रों के अनुसार सपा व बसपा कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़ने के बदले राज्य में जो भी दो सीटें छोड़ने का आग्रह करेंगी, उसे कांग्रेस छोड़ देगी। लेकिन सपा यह सोचती है कि उन दो सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करने की धमकी देकर कांग्रेस को राज्य की बहुत सी सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करने से रोक देगी, तो वह गलती कर रही है। इस बारे में एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस का राज्य की 26 लोकसभा सीटों पर विशेष फोकस है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बाकी सीटों पर नहीं लड़ेगी और उसे सपा व बसपा के लिए छोड़ देगी। अन्य सीटों पर भी लड़ेगी, कुछ पर अपने सहयोगियों को लड़ाएगी। क्योंकि लोकसभा में जो आधार बढ़ेगा वह 2022 में राज्य विधानसभा चुनाव में और भी बढ़ जाएगा। इसका फायदा पार्टी को होगा।

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