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मनमोहन आतंकवाद से लड़ने में उतने कठोर नहीं थे जितने मोदी

Update: 2019-03-14 14:22 GMT

दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का एक बयान कांग्रेस के अंदर ही भूचाल ला सकता है, जिसकी वजह पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। गुरुवार को एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में शीला दीक्षित ने स्वीकार करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह आतंकवाद से लड़ने में उतने कठोर नहीं थे जितने कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

हालांकि इसके साथ ही शीला दीक्षित ने ये भी कहा है कि नरेंद्र मोदी के ज्यादातर काम राजनीति से प्रेरित होने के साथ ही राजनीतिक लाभ उठाने के लिए होते हैं। इस बयान के सामने आने के बाद शीला दीक्षित ने सफाई दी है कि मनमोहन सिंह का आतंकवाद को लेकर उतना कड़ा कदम नहीं होता ता जितना कि पीएम मोदी उठाते हैं। अगर मेरे बयान को किसी दूसरी तरह पेश किया जा रहा है तो मैं कुछ नहीं कह सकती।

उन्होंने इस इंटरव्यू में 26/11 के हमले के बाद यूपीए सरकार के स्टैंड को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा था कि यह मानना पड़ेगा कि मनमोहन सिंह आतंकवाद से लड़ने में इतने मजबूत नहीं थे जितने कि अब के पीएम हैं। माना जाता है कि यूपीए सरकार का ये मानना था कि पाकिस्तान से लड़ने के लिए आर्मी का इस्तेमाल करना ठीक नहीं है। इससे आतंकवाद कम नहीं होगा।

सिर्फ यही बयान नहीं आज शीला दीक्षित अपने एक और बयान को लेकर चर्चा में रहीं। दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको वॉयस मैसेज से दिल्ली के कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर रहे हैं कि आप के साथ पार्टी का गठबंधन होना चाहिए या नहीं। इसी वायरल ऑडियो के बारे में शीला दीक्षित का कहना है कि वह इस मैसेज के बारे में कुछ नहीं जानती और इस मसले पर उनकी राय नहीं ली गई है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मुझसे बिना पूछे ये सर्वे कैसे हो सकता है।

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