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मुजफ्फरपुर आश्रयगृह मामला : सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को कहा-तीन महीने में पूरी करें जांच

Update: 2019-06-03 08:27 GMT

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मुजफ्फरपुर आश्रयगृह मामले में सीबीआई को हत्या के पहलू सहित जांच पूरी करने के लिए तीन माह का समय दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को मुजफ्फरपुर आश्रयगृह मामले में अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न और अपराध की वीडियो रिकॉर्डिंग के आरोपों की जांच करने का भी आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नशा देकर बच्चियों के यौन उत्पीड़न में मदद करने वाले बाहरी लोगों की भूमिका की जांच करने का आदेश भी सीबीआई को दिया है।

इससे पहले मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड मामले में अदालत ने मार्च के आखिरी में सभी 21 आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया था। अदालत ने आरोपितों के खिलाफ पॉक्सो समेत विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय कर दिए थे। नई दिल्ली के साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत ने 21 आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रथमदृष्टया पर्याप्त साक्ष्यों का हवाला देते हुए यह आदेश दिया था। हालांकि, अदालत के समक्ष पेश हुए सभी आरोपितों ने अपने आप को बेकसूर बताया और मुकदमे का सामना करने की मंशा जाहिर की। इसके बाद अदालत ने आरोप तय कर मुकदमा चलाने का निर्णय किया। इस मामले के मुख्य आरोपित एवं आश्रय गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर पर बलात्कार के अलावा बाल यौन शोषण रोकथाम अधिनियम (पोक्सो) की धारा 6 के तहत आरोप तय किए गए। इस अपराध के साबित होने की स्थिति में अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अन्य 20 आरोपितों पर बलात्कार व पॉक्सो के तहत आरोप तय किए गए हैं। इन पर नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार करने का आरोप है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे आश्रय गृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद यह मामला गत वर्ष मई में प्रकाश में आया था।

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