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सुप्रीम कोर्ट का SC/ST ऐक्ट पर बड़ा फैसला, जारी रहेगी तुरंत गिरफ्तारी, अग्रिम बेल भी नहीं

Update: 2020-02-10 06:02 GMT

नई दिल्ली। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के संशोधन की संवैधानिकता को मंजूरी दी है।

कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर इस फैसले के बाद अब सिर्फ शिकायत के आधार पर ही बिना किसी जांच के गिरफ्तारी होगी, और इस कानून के तहत किसी शख्स को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। तीन जजों की पीठ में दो-एक से यह फैसला कोर्ट ने सुनाया है।

दरअसल, 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के गिरफ्तारी के प्रावधान को हल्का कर दिया था और अग्रिम जमानत का प्रावधान कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि सरकारी कर्मचारी/अधिकारी पर आरोप लगा है तो उनकी गिरफ्तारी से पहले विभाग से अनुमति लेनी होगी और आम नागरिक पर आरोप है तो एसएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। साथ ही FIR से पहले प्रारंभिक जांच का प्रावधान कर दिया था।

इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने संसद के जरिये कानून में बदलाव किया और पहले के कानूनी प्रावधान को बहाल कर दिया। इस कानूनी बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिस पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने उस पुराने फैसले को वापस ले लिया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने एससी/एसटी ऐक्ट के गिरफ्तारी के प्रावधानों को हल्का कर दिया था।

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