वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी ऋण प्रबंधन रिपोर्ट जारी, केन्द्र सरकार की कुल देनदारियां 77 लाख करोड़
सार्वजनिक ऋण मार्च 2018 के आखिर में कुल बकाया देनदारियों का 88.7 प्रतिशत आंका गया, जबकि 'सार्वजनिक खाते' की देनदारियों की हिस्सेदारी 11.3 प्रतिशत आंकी गई।
नई दिल्ली। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2018) के लिए ऋण प्रबंधन पर तिमाही रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार की कुल देनदारियां ('सार्वजनिक खाते' के तहत देनदारियों सहित) दिसंबर 2017 के आखिर के 75,66,215 करोड़ रुपये से 1.7 प्रतिशत बढ़कर 76,94,940 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गईं।
वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के बजट प्रभाग (डिवीजन) का सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी) (पूर्ववर्ती मध्य कार्यालय) अप्रैल-जून (प्रथम तिमाही) 2010-11 से ही ऋण प्रबंधन पर तिमाही रिपोर्ट नियमित रूप से जारी करता रहा है। केन्द्र सरकार की कुल देनदारियां ('सार्वजनिक खाते' के तहत देनदारियों सहित) दिसंबर 2017 के आखिर के 75,66,215 करोड़ रुपये से 1.7 प्रतिशत बढ़कर 76,94,940 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गईं। इस स्तर पर केन्द्र सरकार की बकाया देनदारियों और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अनुपात मार्च 2018 के आखिर में 45.9 प्रतिशत आंका गया। सार्वजनिक ऋण मार्च 2018 के आखिर में कुल बकाया देनदारियों का 88.7 प्रतिशत आंका गया, जबकि 'सार्वजनिक खाते' की देनदारियों की हिस्सेदारी 11.3 प्रतिशत आंकी गई।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2018) के दौरान केन्द्र सरकार ने 67,000 करोड़ रुपये मूल्य की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी कीं, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में 1,64,000 करोड़ रुपये मूल्य की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की गई थीं। इसलिए कुल मिलाकर 5,88,000 करोड़ रुपये मूल्य (वित्त वर्ष 2017-18 के संशोधित अनुमान का 98.2 प्रतिशत) की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की गईं। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के दौरान जारी की गई दिनांकित प्रतिभूतियों की भारांक औसत परिपक्वता (डब्ल्यूएएम) और भारांक औसत यील्ड (डब्ल्यूएवाई) क्रमश: 10.93 वर्ष तथा 7.34 प्रतिशत आंकी गईं। फरवरी-मार्च 2018 के दौरान अर्थव्यवस्था में तरलता की स्थिति अपेक्षा से कम रही। हालांकि, वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के दौरान केन्द्र सरकार की नकदी (कैश) की स्थिति संतोषजनक रही, इसलिए सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से अर्थोपाय अग्रिम (डब्ल्यूएमए) नहीं लिया।