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सीबीआई प्रकरण में चौतरफा फंसे राजीव, ममता को मिला राजनीतिक लाभ

Update: 2019-02-05 11:30 GMT

कोलकाता। अरबों रुपये के चिटफंड घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई कार्रवाई को लेकर पिछले तीन दिनों से ममता बनर्जी धरने पर बैठी हुई है। यह पूरा मामला कोलकाता की सड़कों से लेकर संसद तक में गूंजा और मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर काफी अहम फैसले भी सुनाया है। इसके बाद अब यह चर्चा का विषय बन गया है कि आखिरकार इस मामले में किसे कितना नफा नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर देखा जाए तो रविवार रात से शुरू हुए इस प्रकरण के तीसरे दिन मंगलवार को जो परिस्थिति बनी है उसमें स्पष्ट हो चला है कि राजीव कुमार चारों ओर से फंस गए हैं और ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में सबसे चर्चित चेहरा बनकर उभर गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि कोलकाता पुलिस आयुक्त सीबीआई पूछताछ से इन्कार नहीं कर सकते। उन्हें सीबीआई दफ्तर में पूछताछ के लिए हाजिर होना ही होगा। उसके लिए तारीख भी सीबीआई ही तय करेगी। उन्हें हरहाल में पूछताछ के लिए हाजिर होना होगा। दूसरी सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय में हुई। हालांकि राज्य सरकार के आवेदन पर सुनवाई गुरुवार के लिए टल गई, लेकिन न्यायमूर्ति शिव कांत प्रसाद ने राज्य के डीजीपी यानी पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र कुमार को यह निर्देश दिया कि चिटफंड मामले में जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और प्रशासन को हर हाल में सहयोग करना होगा और तीसरी तरफ से इस घमासान में केंद्रीय गृह मंत्रालय भी कूद पड़ा है। मंत्रालय के सचिव राजीव गौबा ने राज्य के मुख्य सचिव मलय दे को चिट्ठी लिखकर कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।

गृह मंत्रालय ने कहा है कि गत रविवार को ममता बनर्जी का धरना मंच पर कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार बैठे थे जो सर्विस रूल का उल्लंघन है। उनके खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। कुल मिलाकर देखा जाए तो राजीव कुमार चारों तरफ से इस मामले में फंसते हुए नजर आ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया अवमानना का नोटिस

नोटिस में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अदालत की अवमानना के मामले में जिन तीन लोगों को नोटिस जारी किया है, उसमें कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार भी हैं। दरअसल गत रविवार को सीबीआई के करीब 20 से 25 सदस्यों की टीम कोलकाता के लाउडन स्ट्रीट स्थित राजीव कुमार के आवास पर पूछताछ के लिए पहुंची थी। उनके साथ कोलकाता पुलिस के अधिकारियों ने मारपीट की और उन्हें जबरदस्ती हिरासत में लिया गया। उनके मोबाइल छीन लिए गए। उनके पास मौजूद दस्तावेज तक छीन लिए गए और उन्हें काफी बेइज्जत किया गया।

इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर राज्य के पुलिस महानिदेशक विरेंद्र कुमार, मुख्य सचिव मलय दे और कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी करके 18 फरवरी से पहले इस पर जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि आखिरकार सीबीआई अधिकारियों के साथ ऐसा क्यों किया गया? कुल मिलाकर देखा जाए तो इन सभी मामलों में कोलकाता पुलिस आयुक्त फंसते हुए नजर आ रहे हैं। उन्हें सीबीआई के सामने भी पूछताछ के लिए हाजिर होना होगा। गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्य सरकार को भी उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करनी होगी। उसके बाद सीबीआई अधिकारियों के साथ मारपीट संबंधी घटना में या तो उन्हें माफी मांगनी होगी या कार्रवाई होगी। उस पर से चुनाव आयोग ने पहले से निर्देश दे रखा है कि कोई भी अधिकारी जो तीन सालों से अधिक समय पर एक ही पद पर तैनात हो उन्हें हटाना होगा। राजीव कुमार साढ़े तीन साल से कोलकाता पुलिस के आयुक्त हैं। राज्य सरकार को उन्हें भी हटाना ही पड़ेगा। अब राजीव कुमार चिटफंड मामले को लेकर सीबीआई से टकराव के बीच बुरी तरह से चौतरफा फंसते हुए नजर आ रहे हैं।

देश की बहुचर्चित नेता बनी ममता

इस मामले को ममता बनर्जी ने जिस तरीके से लपकी और धरने पर बैठकर केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ राजनीति करनी शुरू की उसका लाभ ममता को भी मिलेगा साबित हो रहा है। दरअसल गत 19 फरवरी को भले ही ममता ने कोलकाता के सबसे बड़े ब्रिगेड परेड मैदान में यूनाइटेड इंडिया रैली की थी जिसमें कांग्रेस के प्रतिनिधियों समेत 23 पार्टियों के नेता उपस्थित थे। उसके एक दिन बाद ही कांग्रेस अपनी राह पर चल पड़ी थी और ममता अपनी राह पर चल पड़ी थी।

ममता के मंच पर शामिल हुए कई नेता अपने-अपने राज्यों में जाकर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने लगे थे। इसके बाद ममता का महत्व अपेक्षित रूप से इतना अधिक नहीं रह गया था, जिस लिहाज से उन्होंने महा विपक्षी रैली का आयोजन किया था। लेकिन गत रविवार को जब सीबीआई अधिकारी कोलकाता पुलिस आयुक्त के घर पहुंचे और ममता भी राजीव कुमार के घर जा पहुंची। वहां से उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था के एडीजी अनुज शर्मा और पुलिस महानिदेशक विरेंद्र कुमार के साथ राजीव कुमार के घर में ही उच्च स्तरीय बैठक की और वहीं से धरना पर बैठने की घोषणा कर दी। एक तरफ सीबीआई कार्रवाई को लेकर ममता धरने पर बैठी तो दूसरी ओर यह मामला न केवल देश बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियों में छा गया था। पूरे देश में ममता बनर्जी को लेकर चर्चा होने लगी। उस दिन से लेकर आज तक ममता तीसरे दिन भी धरने पर हैं और पूरा देश बंगाल की ओर देख रहा है। हर कोई यह जानना चाहता है कि कोलकाता में क्या हुआ, ममता क्या कर रही हैं, पुलिस आयुक्त के साथ क्या हुआ, कोर्ट ने क्या निर्देश दिया आदि।

इस मामले पर ममता को एक बार फिर पूरे देश के विपक्षी नेताओं का समर्थन मिलने लगा है। अरविंद केजरीवाल, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मायावती, चंद्रबाबू नायडू, एच. डी. देवगौड़ा, शरद पवार, शरद यादव समेत सभी विपक्षी बड़े चेहरों ने बयान जारी कर ममता का नैतिक समर्थन कर दिया है। कमोबेश सभी ने यही कहा है कि भाजपा की कथित तानाशाही के खिलाफ अगर कोई लड़ सकता है तो वह ममता ही है। इसके बाद रविवार को ना सही लेकिन सोमवार और मंगलवार को अपने प्रत्येक भाषण में ममता ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी लड़ाई किसी भी एजेंसी को लेकर नहीं है और ना ही वह सीबीआई के खिलाफ किसी तरह का द्वेष रखती हैं बल्कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ रही हैं और नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ रही हैं।

संभावित प्रधानमंत्री के रूप में ममता के लिए मील का पत्थर साबित होगा

कुल मिलाकर कहा जाए तो भले ही राजीव कुमार के घर सीबीआई कार्रवाई को लेकर ममता धरने पर बैठी थी, लेकिन उन्होंने इस पूरे मुद्दे को पूरी तरह से राजनीतिक रंग दे दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ जिस महा लड़ाई की शुरुआत की है, उसमें पूरा देश उनके साथ खड़ा है। तेजस्वी यादव ने भी यही कहा। चंद्रबाबू नायडू ने भी यही कहा है और देशभर के सभी गैर भाजपा पार्टियों के प्रतिनिधियों ने ममता के इस आंदोलन के पक्ष में उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। आज देश में ममता बनर्जी का कद देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के तौर पर उभरा है, जो 2019 में उन्हें संभावित प्रधानमंत्री के तौर पर स्वीकार्य होने में मील का पत्थर साबित होगा। इसे समझते हुए ममता बनर्जी ने मंगलवार को कोलकाता में अपना धरना खत्म करने की घोषणा भी कर दी है और साफ किया है कि आगामी 13 और 14 फरवरी को वह दिल्ली जाकर धरना देंगी।

भाजपा को भी मिला लाभ

इसका तीसरा पहलू यह है कि ममता बनर्जी के इस धरने और सीबीआई प्रकरण को लेकर देशभर में एक बड़ा हिस्सा ममता के खिलाफ खड़ा हुआ है। पश्चिम बंगाल में भी कई सारे लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ममता की इस कार्रवाई की आलोचना कर रहे हैं और देश के संघीय व्यवस्था के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा बता रहे हैं। ये सारे लोग भाजपा के पक्ष में खड़े हो गए हैं जो आसन्न लोकसभा चुनाव के दौरान ममता और भाजपा के बीच जबरदस्त नूरा कुश्ती का माहौल बनाने में सहायक होने वाला है। ऐसे में अगर देखा जाए तो सीबीआई प्रकरण का मुद्दा भले ही राजीव कुमार से शुरू हुआ हो, लेकिन अंत इसका ऐसा हो रहा है जैसे राजीव कुमार बलि का बकरा बनेंगे और इसका राजनीतिक लाभ भाजपा और तृणमूल को मिलने वाला है।

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