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राफेल सौदा मामला : अनिल अंबानी कोर्ट जाकर फंस सकते हैं

Update: 2018-08-25 07:49 GMT

नई दिल्ली। कानूनविदों का मानना है कि राफेल सौदे में यदि अनिल अंबानी पाक-साफ हैं तो उनको डरने की जरूरत नहीं है। उनको तो अपने सारे साक्ष्य के साथ सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि सौदे का तथ्य। लेकिन यदि प्रमुख विपक्षी पार्टी व अन्य गैर सत्ताधारी राजनीतिक दलों को वकील से नोटिस भेजवाकर डराने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसमें वह कामयाब नहीं होने पाएंगे। नोटिस देकर वह न तो कांग्रेस को चुप करा पाएंगे, न उसके नेताओं को और न ही अन्य गैर सत्ताधारी दलों को। यदि वह यह मुद्दा उठाने वाली पार्टी व उसके नेताओं के विरूद्ध कोर्ट में जाएंगे तो उल्टे और फंस सकते हैं। यही वजह है कि न तो कांग्रेस, न ही उसके वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता ही अनिल अंबानी की नोटिस से डर रहे हैं। न ही राफेल मुद्दा उठाने, उसके सौदे में हुए तथाकथित घोटाले को उजागर करने से डर रहे हैं।

इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय के वकील विनय प्रीत सिंह का कहना है कि अनिल अंबानी जैसे उद्योगपति को तो कांग्रेस व उसके प्रवक्ता को राफेल सौदे पर बोलने से रोकने के लिए नोटिस देने की बजाय, उस पर प्रमाण सहित स्पष्टीकरण देना चाहिए कि वह इस सौदे में पाक-साफ हैं। उनको तो संवाददाता सम्मेलन करके वे सारे प्रमाण दिखाना चाहिए, जिसमें उनकी कम्पनी का राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कम्पनी डसाल्ट एविएशन की भागीदारी में भारत में राफेल लड़ाकू विमान के रखरखाव आदि का समझौता / सौदा हुआ है। यह करने की बजाय वह नोटिस दे रहे हैं। इससे तो उन पर इस देश की जनता की आखों में धूल झोंकने का आरोप लगेगा। कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टी व उसके नेता, जिनमें कई बड़े कानूनविद भी हैं, यदि इस मुद्दे को उठा रहे हैं, तो वे ऐसे तो उठा नहीं रहे हैं। ऐसे में अनिल अंबानी यदि कोर्ट में जाएंगे तो उल्टे फंस भी सकते हैं। क्योंकि न्यायालय में उनको अपने पाक-साफ होने का प्रमाण देना पड़ेगा। इसके लिए उनको राफेल की निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कम्पनी के साथ उनकी रिलायंस धीरूभाई अंबानी कम्पनी से हुए समझौते की छाया प्रति न्यायालय में जमा करनी पड़ेगी। केन्द्र सरकार को भी इस मामले में न्यायालय सम्मन कर सकती है। उससे भी संबंधित दस्तावेज मांगे जाएंगे। इसलिए अनिल अंबानी जो कुछ छिपाने के लिए कांग्रेस व उसके प्रवक्ताओं को नोटिस दे रहे हैं, कानूनी कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं, वह उल्टे उनके फंसाव का कारण बन सकता है। इसमें हुए भ्रष्टाचार के आरोप के सवाल पर अनिल अंबानी को प्रमाण सहित अपना पक्ष रखने से तो कोई रोक नहीं रहा है। यदि वह कांग्रेस और उसके प्रवक्ताओं को कानूनी कार्रवाई करने वाली नोटिस देकर डराना चाहते हैं, तो उनको भी पता है कि इससे कांग्रेस व उसके प्रवक्ता चुप नहीं होने वाले हैं। वह न्यायालय में मानहानि का मुकदमा करते हैं तो वहां इसके लिए राफेल कम्पनी के साथ भागीदारी वाला दस्तावेज प्रस्तुत करना पड़ेगा। ऐसे में अनिल अंबानी इस मुद्दे पर इन दलों, इनके नेताओं के विरूद्ध न्यायालय में जाते हैं तो मुद्दा और गरमाएगा। इससे विपक्ष को आगामी चुनावों में इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने में और आसानी हो जाएगी। वकील बीएस. बिलोरिया का यह भी कहना है कि और अनिल अंबानी व्यक्तिगत मानहानि की बात कर रहे हैं, और यहां विपक्ष मामला राफेल सौदे में हुए घोटाले का उठा रहा है। जिसमें नियम का वायलेशन करके, सरकारी उपक्रम को फ्रांसीसी राफेल कम्पनी के साथ भागीदारी नहीं कराके अनिल अंबानी की निजी कम्पनी के साथ भागीदारी कराया गया है। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इसलिए इसे अनिल अंबानी अपने मानहानि का मुद्दा बनाने में सफल हो सकेंगे इसकी संभावना कम है।

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