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प्रधानमंत्री मोदी SCO समिट में लेंगे भाग, जानिए भारत के लिए क्या है महत्व ?

Update: 2022-09-15 09:02 GMT

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की गतिविधियों के अलावा अन्य सदस्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।ये एक क्षेत्रीय संगठन है। बीते वर्ष ये सम्मेलन किर्गिस्तान के बिश्केक में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था। ये सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित होता है।  

इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी के शामिल होने उम्मीद है। शहबाज शरीफ के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद ये पहला मौका  होगा जब वह मोदी से मुलाकात करेंगे।  

विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने जानकारी देते हुए बताया की एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए मोदी की उज्बेकिस्तान यात्रा पर एक विशेष ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन की गतिविधियों के अलावा उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति और 'कुछ अन्य नेताओं' के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। पत्रकारों द्वारा अन्य नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय बैठकों के संबंध में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने कहा कि जब प्रधानमंत्री की इन द्विपक्षीय बैठकों का कार्यक्रम सामने आएगा, तो हम आपको इससे अवगत करते  रहेंगे।

क्या है SCO - 

SCO का अर्थ है शंघाई सहयोग संगठन जोकि एकअंतर सरकारी संगठन है। इसका गठन वर्ष 2001 में हुआ था। ये एक संगठन राजनीति, अर्थशास्त्र, विकास और सेना के मुद्दों पर केंद्रित है। इसकी शुरुआत 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं द्वारा 'शंघाई फाइव' के रूप में हुई थी।वर्ष 2001 में उज्बेकिस्तान के इस संगठन से जुडने के बाद इसका नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठ (SCO ) कर दिया गया।  

शुरुआत में वर्ष 2001 से लेकर 2007 तक 6 देश चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान इस संगठन के सदस्य थे।  2007 में भारत और पाकिस्तान इस संगठन से जुड़े।इसके अलावा आर्मीनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और टर्की SCO इस संगठन के डायलॉग पार्टनर हैं। वहीं अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं। वर्तमान में ये संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के क्षेत्र में काम कर रहा है।

भारत के लिए महत्व - 

इस शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण है। सम्मेलन की समाप्ति पर भारत वर्ष 2023 के लिए इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा।  अगले साल 2023 में ये सम्मेलन भारत में आयोजित होगा। शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी से प्रधानमंत्री को विभिन्न सुरक्षा और सहयोग के मुद्दों पर विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का अवसर मिल सकता है।

मोदी-शहबाज की मुलाक़ात - 

पाकिस्तान में इमरान खान के सत्ता से बेदखल होने और शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी से उनकी ये पहली मुलाक़ात होगी। भारत कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की आलोचना करता रहा है।ऐसे में इस बैठक के दौरान मोदी, शहबाज शरीफ के सामने आतंकवाद के मुद्दे को उठा सकते हैं।

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